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    पिंपरी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्थानीय निकाय चुनाव (Municipal Elections) को लेकर चल रही सुनवाई एक बार फिर टल गई है। अब यह सुनवाई जनवरी में होगी। राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के चुनाव विभाग ने 2017 के अनुसार चुनाव की तैयारी कर ली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिर से टलने से संभावना जताई जा रही है कि फरवरी में होने वाले चुनाव अप्रैल-मई में होंगे। इससे नगरसेवकों और इच्छुकों में फिर निराशा व्याप्त हो गई हैं। 

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका चुनाव की गहमागहमी पिछले सालभर से चल रही है। वार्ड गठन में देरी, ओबीसी आरक्षण भ्रम, चार, दो और तीन सदस्यीय वार्ड गठन को लेकर असमंजस के चलते महानगरपालिका में प्रशासनिक राज लागू किया गया। 14 मार्च से प्रशासनिक शासन लागू है। अगस्त माह में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद चुनाव आयोग को 2017 के अनुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया गया है। इसे अदालत में चुनौती दी गई है। 

    मामला न्यायालय में विचाराधीन 

    तदनुसार, यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। कोर्ट की सुनवाई में देरी हो रही है। लिहाजा राज्य सरकार हर बार चुनाव विभाग को नया आदेश दे रही है। ऐसे में असमंजस की स्थिति है। कोर्ट के साथ ही राज्य सरकार, राज्य चुनाव आयोग के आदेश का इंतजार है। अब चुनाव को लेकर सुनवाई 17 जनवरी को होगी। इसलिए फरवरी में संभावित चुनाव अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है।

    महानगरपालिका प्रशासन और राजनीतिक नेता भी असमंजस 

    अभी राज्य में बालासाहेब की शिवसेना और बीजेपी गठबंधन की मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार हैं। यह गठबंधन सरकार चार सदस्यीय वार्ड के आधार पर चुनाव कराने की इच्छुक है। चूंकि तीन के हिसाब से वार्ड गठन हो गया है और आरक्षण का ड्रा निकाला जा चुका है, इसलिए सबका ध्यान इस बात पर गया है कि कोर्ट क्या फैसला ले रहा है। महानगरपालिका प्रशासन और राजनीतिक नेता भी असमंजस में हैं। क्या चार सदस्यीय वार्ड पद्धति से होगा चुनाव? यदि चार सदस्यीय वार्ड व्यवस्था में चुनाव कराना है तो वार्ड संरचना, आरक्षण प्रक्रिया और मतदाता सूची नए सिरे से करनी होगी। इसमें वार्ड में मतदाताओं की संख्या के साथ आबादी भी बढ़ेगी। नई प्रक्रिया में दो से ढाई माह का समय लगेगा। उसी में कोर्ट की सुनवाई फिर टल गई है। ऐसे में फरवरी में महानगरपालिका चुनाव होने की उम्मीद कम ही है।