Thane Municipal Corporation
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    ठाणे : महानगरपालिका (Municipal Corporation) के कैग की रिपोर्ट (CAG Report) में खुलासा हुआ है कि पिछले पांच साल में मेट्रो विकास शुल्क (Metro Development Fee)के 308 करोड़ रुपये में से सिर्फ 65 करोड़ रुपये ही  के खजाने में जमा हुए हैं। जबकि अभी भी करीब 241 करोड़ रूपए की वसूली कर पाने में महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) की लापरवाही उजागर हो रही है। उक्त खुलासा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने करते हुए कहा कि ठाणे महानगरपालिका के कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि 2017 से 2019 तक मेट्रो परियोजना को लागू करते हुए, ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) ने मेट्रो विकास शुल्क को बढ़ाए बिना डेवलपर्स को अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) जारी किए थे।

    एक तरफ करोड़ों का यह राजस्व महानगरपालिका प्रशासन नहीं वसूल रहा है, लेकिन ठाणेकर का संपत्ति कर अनिवार्य रूप से वसूला जा रहा है। हालांकि महानगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि यह राशि 308 करोड़ नहीं बल्कि केवल 131 करोड़ है। जिसे लेकर मनसे के विभागीय अध्यक्ष संदीप पाचंगे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यदि महानगरपालिका के अधिकारी कर ले रहे है मेट्रो विकास शुल्क 308 करोड़ के बजाय सिर्फ 131 करोड़ रूपए है तो वे कैग की रिपोर्ट को भी साझा करने से क्यों कतरा रहे है। साथ ही उन्होंने इस संदर्भ में जांच की मांग भी की। 

    ठाणे के बढ़ते शहरीकरण के कारण परिवहन की समस्या के समाधान के रूप में 1 मार्च 2016 को मेट्रो को एक महत्वपूर्ण नागरिक परिवहन परियोजना के रूप में शुरू किया गया था।  ठाणे महानगरपालिका ने 2017 से 2020 तक बढ़ी हुई दर से विकास शुल्क की वसूली नहीं की है। इसलिए मार्च 2017 से 2020 तक 308 करोड़ रूपए का नुकसान महानगरपालिका को उठाना पड़ा है। उक्त मामला महानगरपालिका के कैग रिपोर्ट से पर्दाफाश हुआ है। अब इसके खिलाफ मनसे ने मोर्चा खोल दिया है। मनसे के विभागीय अध्यक्ष संदीप पाचंगे का कहना है कि तत्कालीन महानगरपालिका आयुक्त संजीव जायसवाल ने डेवलपर्स के प्रति उदारता की नीति क्यों लागू की? साथ ही उन्होंने कहा कि इस निर्णय से ऐसा लगता है कि डेवलपर्स को इसका सीधा फायदा हुआ है और संदेह है कि इस रियायत से निश्चित रूप से बड़े वित्तीय लेनदेन हुए हैं। क्योंकि एक तरफ महानगरपालिका के अधिकारी कह रहे है कि इसमें सिर्फ 131 करोड़ रूपए ही वसूली करना था जिसमें से 65 करोड़ रूपए की वसूली हो चुकी है। जबकि कैग के रिपोर्ट से पता चल रहा है कि तकरीबन 241 करोड़ रूपए नहीं वसूल किए। इसलिए जानकारी कौन छुपा रहा है, इस पर भी सवाल अब उठा रहा है। 

    महानगरपालिका प्रशासन की आपसी सांठगांठ 

    पाचंगे का कहना है कि महानगरपालिका के नगर विकास विभाग के कार्यकारी अभियंता सुनील पाटिल ने उन्हें पत्र लिख कर जानकारी दी है कि मेट्रो विकास शुल्क की वसूली शुरू हो गई है। लेकिन मुझे महानगरपालिका की वसूली पर संदेह है कि बाकी की वसूली कब तक की जाएगी? इस पर महानगरपालिका के अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है। इसलिए इस प्रकरण की जांच जरूरी है।