नई दिल्ली/मुंबई. आज यानी गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme COURT) की संविधान पीठ गुरुवार को उद्धव ठाकरे गुट (Udhhav Thackeray) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट की विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुना दी है। इसके साथ ही आज महाराष्ट्र का मुद्दा SC की बड़ी बेंच को सौपा गया है। दरअसल आज SC ने अपने फैसले में कहा कि, महाराष्ट्र के 16 MLA की योग्यता का मुदा अब बड़ी बेंच देखेगी।
Maharashtra political crisis | Supreme Court says the 2016 Nabam Rebia case which held that Speaker cannot initiate disqualification proceedings when a resolution seeking his removal is pending, requires reference to a larger bench https://t.co/Dih1B9fYr4
— ANI (@ANI) May 11, 2023
महाराष्ट्र के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, 2016 का नबाम रेबिया मामला, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है, तो इस केस में एक बड़ी पीठ के संदर्भ की भी आवश्यकता है।
एकनाथ शिंदे को झटका
इसके साथ ही आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2016 का फैसला सही नहीं था। इसमें कहा गया था कि डिप्टी स्पीकर या स्पीकर के खिलाफ अयोग्यता का मामला है तो उसे कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं होगा।
Supreme Court says floor test cannot be used to resolve internal party disputes. Neither the Constitution nor the law empowers the Governor to enter the political arena and play a role either in inter-party or intra-party disputes. https://t.co/R3jHQLVV2G
— ANI (@ANI) May 11, 2023
SC की तीखी टिप्पणी
वहीं कोर्ट की संविधान पीठ ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए तीखी टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को दो गुट बनने की जानकारी थी। भरत गोगावले को चीफ व्हिप बनाने का स्पीकर का फैसला गलत था।स्पीकर को इस पर जांच करके फैसला लेना चाहिए था। स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने सही व्हिप को जानने की कोशिश नहीं की।
राज्यपाल के कर्याकल्प पर भी टिप्पणी
हालांकि मामले को लेकर हुई पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को लेकर भी ऐसे ही तीखी टिप्पणी करते हुए कई सवाल किए थे। अदालत ने पूछा था कि क्या किसी राजनीतिक दल में आंतरिक विद्रोह को आधार मानकर राज्यपाल फ्लोर टेस्ट करा सकते हैं? क्या विधानसभा के सदन को बुलाते समय राज्यपाल को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इससे तख्तापलट हो सकता है?
संजय राउत ने फैसले के पहले कही यह बड़ी बात
आज इस फैसले के पहले, उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा था कि, “मैं महाविकास अघाड़ी का नेता और शिवसेना का सांसद हूं और मुझे लगता है कि सरकार को खतरा है। अगर 16 विधायकों की सदस्यता निरस्त होगी तो बचे हुए 24 की भी निरस्त होगी और सरकार तुरंत गिर जाएगी।”
Maharashtra political crisis | Supreme Court says that issues such as whether a notice to the removal of the Speaker will restrict the powers of the Speaker to issue disqualification notices need examination by a larger bench.
— ANI (@ANI) May 11, 2023
गौरतलब है कि, बीते साल 2022 शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत करके BJP के सहयोग से सरकार बना ली थी। राज्यपाल ने उनकी सरकार को मान्यता देकर शपथ दिलाई थी। वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इसे संविधान पीठ में ट्रांसफर किया गया। पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
जानकारी हो कि, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के आखिरी दिन यानी बीते 16 मार्च को इस बात पर आश्चर्य जताया था कि, कोर्ट उद्धव सरकार की बहाली कैसे कर सकता है क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ने अपनी याचिका में मांग की थी कि राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था। इस पर उद्धव गुट ने कहा कि यथा स्थिति (स्टेटस को) बहाल की जाए, यानी उद्धव सरकार बहाल की जाए जैसा कोर्ट ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार की बहाली के ऑर्डर में किया था।
लेकिन आखिरकार, महाराष्ट्र के 16 MLA की योग्यता का मुदा अब बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है, क्योंकि इस मुद्दे पर उनके जरुरी संदर्भ की भी आवश्यकता है।