Online education system failed in Tehsil

  • नेटवर्क की समस्या
  • रात भर जाग रहे छात्र
  • अध्ययन पर पडा बुरा असर
  • छात्रों का भविष्य संकट में

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वर्धा. कोरोना संक्रमन का असर शिक्षा क्षेत्र पर बुरा पडा है.स्कूल, कॉलेज व कोचिंग क्लासेस बंद होने से छात्रों का भविष्य ही संकट में आ गया है.ऑनलाईन शिक्षा पद्धती छात्रों के लिये सिरदर्द साबित हो रही है.नेटवर्क समस्या व अन्य कारणों से छात्रों पर सावधान, जागते रहो की नौबत आन पडी है.ऑनलाईन पढाई छात्रों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही है.चिकित्सकों ने भी ऑनलाईन पद्धती के कारण छात्रों पर घातक असर होने की बात कबुली है.

कोविड -19 के कारण सरकारने शिक्षा क्षेत्र पर पाबंदी लगाई है.ग्रीष्मकाल होने के कारण कक्षा 1 से 9 तक अवकाश था.किंतु इस वर्ष 10 वी तथा 12 वी में गये छात्रों के निजी कोचिंग क्लासेस बंद होने से उनपर अधिक बोझ पडा है.निजी कोचिंग क्लासेस ने सरकार के दिशानिर्देशानुसार ऑनलाईन अध्ययन लॉकडाउन के दुसरे चरण में आरंभ कर दिया.अब स्कूल खोलने के आदेश देकर सरकारने भी ऑनलाईन शिक्षा देने का निर्णय लिया है.सीबीएसई पैटर्न की स्कूलों ने जून के प्रथम सप्ताह से ही ऑनलाईन शिक्षा आरंभ कर दी है.अन्य निजी स्कूलें भी इस मार्ग पर चलने लगी.जिससे छात्र सुबह से देर रात तक पढाई में जुट गये है.सुबह आठ बजे से ही बच्चे हाथ में स्मार्टफोन लेकर बैठ जाते है.10 व 12 वी के छात्रों पर बोझ अधिक होने के कारण उन्हें रातभर पढाई पर ध्यान देना पड रहा है.दिनभर नेटवर्क की समस्या होने के कारण छात्र रातभर पढाई में व्यस्त हो गये है.

पालक भी परेशान  
छोटे से लेकर बडे बच्चे भी ऑनलाईन शिक्षा से एक और परेशान है.तो दुसरी और उनके परिवार के सदस्य भी.स्कूलों व्दारा ऑनलाईन सवाल जवाब पुछे जाने के कारण परिजनों पर भी मानसिक असर पड रहा है.ऑनलाईन शिक्षा छात्रों के समझ के बाहर होने के कारण पालकों को उनकी किताबें छाननी पड रही है.जिससे उनका दिनभर का नियोजन बिगड गया है.

अनेकों के पास नही स्मार्ट फोन
ऑनलाईन शिक्षा के लिये स्मार्ट फोन आवश्यक है.किंतु अनेक छात्रों के परिजनों की आर्थिक हालत नाजूक होने के कारण वह स्मार्ट फोन खरीद नही सकते.ऐसे में वे पढाई कैसे करे, ऐसा प्रश्न भी निर्माण हो रहा है.

डब्लूएचओ के गाईडलाईन की अनदेखी
ऑनलाईन शिक्षा व मोबाईल के उपयोग को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाईड लाइन जारी की है.जिसके अनुसार 0 से 2 आयु के बालकों को मोबाईल नही दिया जाये. 2 से 4 आयु के बालकों नेट सुविधा के बैगर मोबाईल दिया जाये.वह भी सिमीत समय के लिये. 4 वर्ष के उपर के बालकों को नेट सुविधा युक्त मोबाईल दिया जाये लेकीन पालकों की निगरानी में वह भी कुछ समय के लिये. 20 मिनीट तक उपयोग होने के बाद स्क्रीन बंद की जाये, नही तो उसका असर बालक पर हो सकता है,ऐसा भी कहां गया है. स्कूलों ने भी डब्लूएचओ की गाइडलाइन की और अनदेखी करने की जानकारी है.

स्वास्थ्य पर हो रहा असर- बालरोग तज्ञ डा.सचिन पावडे     
शहर के नामचीन बालरोग तज्ञ सचिन पावडे ने बताया की, डब्लूएचओ ने इस संदर्भ में गाइडलाइन दी है.किंतु इस और अनदेखी की जा रही है.ऑनलाइन शिक्षा पद्धती के कारण बडे से लेकर छोटे बच्चों पर लगत असर पड रहा है.जो स्वास्थ्य के लिये हानीकारक है.10 वी व 12 वी व अन्य छात्र अधिक समय तक मोबाइल पर पढाई कर रहे है. जिससे उनके स्वास्थ्य की समस्या निर्माण हो रही है. बच्चों में चिडचिडापण, सरदर्द,भूक नही लगना, पढाई करते समय अन्य वस्तुओं का सेवन करना,एकही जगह पर बैठने के कारण मोटापा बढने की शिकायते आ रही है.ऑनलाइन का मष्तीक पर भी बुरा प्रभाव पडने की जानकारी उन्होंने दी.  

ऑंखों पर हो रहा प्रभाव  – नेत्रतज्ञ डा.मोना सुने     
नेत्ररोग तज्ञ मोना सुने ने बताया की,इ लर्निंग के कारण बच्चों के ऑंखों पर बुरा प्रभाव हो रहा है.ऑंखों की शिकायत लेकर पालक अपने बच्चों को लेकर आ रहे है.मोबाइल के निरंतर उपयोग के कारण दृष्टी समस्या निर्माण हुई है.मेडिकल की भाषा में उसे कॉम्प्युटर व्हीजन सिंड्रोम कहां जाता है.