Tur Crop

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    वर्धा. जिले में बदलते मौसम की मार तुअर फसल पर बडी मात्रा में देखी जा रही है़ इससे तुअर का उत्पादन भारी मात्रा में कम होने की आशंका जताई जा रही़ बडे पैमाने पर तुअर की फसल खेतो में जलकर नष्ट होने से किसानों की चिंता बढ रही है़  बता दें कि, जानकारो के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में इतने बडे पैमाने पर तुअर की फसल जलती पहली बार देख रहे है़ इसके पिछे का कारण तलाशना अत्यंत जरुरी हो गया है.

    कृषि विभाग ने जब तुअर की फसल फुलो पर थी व फल्लियां लगने लगी थी़ उसी समय किसानो को उचित मार्गदर्शन करना जरुरी था़ शुरुवाती दिनों में करिब पखवाडे तक बदरिला मौसम छाया रहा़ यह मौसम इल्लियों के लिए पोषण था़ इस बार जिले में अत्याधीक बारिश हुई़ इससे तुअर की फसल लेते समय किसानों को जरुरी दिशानिर्देश देने चाहिए थे़ परंतु ऐसा नहीं हुआ़ नतीजन आज यह स्थिति पैदा हुई है़ कपास व सोयाबीन की फसल बर्बाद होने से किसान आर्थिक संकट में आ गए.

    उनकी नजरें तुअर फसल पर टीकी थी़ परंतु कृषि विभाग की लपरवाही से किसानों को नुकसान उठाना पड रहा है़ सही समय पर सही मार्गदर्शन होता तो कुछ हद तक तुअर की फसल किसानों के हाथ लगती़ आज स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है़ फल्लियां परिपक्व होने की स्थिति में तुअर फसल जल रही है़ अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में किसान किसी तरह की फसल नहीं ले पाएंगा, ऐसा भी कहा जा रहा है. 

    नई तकनीक को आजमाना जरुरी

    जब तक किसानों को नई तकनीक का चयन करने की स्वतंत्रता नहीं मिलती तब तक यह स्थिति बनी रहेंगी़ भारतीय किसानों को बदलते मौसम में टीके रहना हैं, तो यह करना जरुरी है़ दुनिया में नवनवीन तकनीक व संसाधनो का उपयोग खेती के लिए हो रहा है़ इसका लाभ भारत के किसानों को मिलना जरुरी है़ आगामी समय में किसान पुत्रों ने नई तकनीक के लिए आग्रही रहना चाहिए. 

    -सतीष दानी, पूर्व अध्यक्ष, किसान संगठन युवा आघाडी