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  • अखिल भारतीय प्रजापति संघ ने की मांग

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वर्धा. पीओपी मूर्तियों पर पाबंदी कायम रखने की मांग को लेकर अखिल भारतीय प्रजापति (कुंभकार) संघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. पीओपी मूर्तियों पर बंदी के संदर्भ में 12 मार्च 2020 को सीपीसीबी द्वारा जारी दिशानिर्देशों का कुंभकार संघ ने स्वागत किया. पर्यावरण मंत्रालय कानून बनाकर समूचे देश में पीओपी मूर्ति निर्मिति, बिक्री एवं आयात पर पूर्णत: पाबंदी लगाए.

जल प्रदूषण पर रोक लगने के साथ ही देश के करोड़ों मूर्तिकारों को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे. भारतीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने वाले पारंपारिक प्रजापति कारीगर देश में करोड़ों की संख्या में है, जिनका मूल व्यवसाय माटी पर आधारित मूर्तियां एवं अन्य कलाकृतियों के निर्माण पर ही परिवार की आजीविका निर्भर है.

पारंपारिक कारीगर बिना किसी शासकीय सहायता से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गणेशोत्सव, दुर्गात्सव से लेकर दीपावली तक गृहउद्योग, कुटीर उद्योग के माध्यम से मूर्तियां एवं अन्य कलाकृतियों का निर्माण कर सकल घरेलू उत्पादन में अपना योगदान देकर आर्थिक स्वावलंबन व आत्मनिर्भरता की ओर अग्रेसर है.

भुखमरी का संकट

पिछले 20-25 वर्षो से कुछ गैरपारंपारिक पूंजीपति, उद्योजक एवं व्यवसायियों ने मूर्तिकला के व्यवसाय में प्रवेश कर निर्जीव एवं विषाक्त पीओपी मूर्तियों का निर्माण कर देश के सामने जलप्रदूषण एवं पर्यावरण प्रदूषण की चुनौती को जन्म दिया है.

वहीं दूसरी ओर पारंपारिक मिट्टी के कारीगरों की हस्तशिल्प कला पर अतिक्रमण कर स्वयंरोजगार को नष्ट करने का तीव्र गति से प्रयास जारी है. मूर्तिकारों के सामने रोजगार एवं भुखमरी का संकट निर्माण हुआ है. पीओपी मूर्तियों के निर्माण तथा पीओपी मूर्तियों के विसर्जन व्यवस्थापन पर खर्च की जा रही अरबों रुपयों की निधि को बचाने के लिए पीओ मूर्ति बंद का निर्णय कायम रखने की मांग  की गई है.