Woman Farmer, Wardha, Organic Farming

Loading

वर्धा. खेती आज सभी किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. खेतों में बढ़ रहा रासायनिक खाद का उपयोग व प्राकृतिक आपदाताओं से किसानों को मुनाफा कम व नुकसान अधिक सहना पड़ रहा है. इन मुश्किलों से मार्ग निकालते हुए महिला किसान सविता येलने ने आर्गेनिक खेती के साथ सफल उद्योजक बनने का सम्मान प्राप्त किया.

कान्हापुर निवासी महिला किसान सविता जीवनराव येलणे (46) ने खेती के साथ-साथ खुद का माल सीधे ग्राहकों को बेचकर उद्योग भी शुरू किया है. वह विगत 26 वर्षों से खेती व्यवसाय से जुड़ी है. उनके पास 6 एकड़ खेती है. इनमें वे पारंपारिक फसल के साथ सभी तरह की सब्जियां, गन्ना, फलों का उत्पादन भी बड़े प्रमाण में ले रही है. उत्पादन के साथ ही उनकी बिक्री भी खुद ही सीधे ग्राहकों को कर रही है.

वर्ष 2008 में सेंन्द्रीय खेती करने का निर्णय लिया. इसके लिए शुरूआत में मात्र एक एकड़ में प्रयोग किया, जिसमें आर्गेनिक सब्जी, फल की फसल सफल रही. पश्चात दो एकड़, फिर तीन एकड़ ऐसे करते हुए अब एकड़ खेती में वे पारंपारिक फसलों के साथ आर्गेनिक खेती भी कर रही है. सेंद्रीय खेती में बैंगन, टमाटर, मिर्च व सभी तरह की सब्जियों का उत्पादन शामिल है. गन्ना व पपीते का भी बड़े प्रमाण में उत्पादन ले रही है. मसाले के तौर पर अदरक व हल्दी का भी उत्पादन लेकर मुनाफा कमा रही है.

लागत 25,000, मुनाफा 80,000 रु.

प्राकृतिक आपदा के चलते खेती घाटे का सौदा बनी हुई है. परंतु येलणे ने अपनी मेहनत व जिद के बल पर घाटे की खेती मुनाफे में बदल दी है. उन्हें एक एकड़ सेंद्रीय खेती करने के लिए लगभग 25 हजार रुपए खर्च आता है, जिसमें वे 70-80 हजार रुपए का उत्पादन ले रही है. इसमें उनका शुद्ध मुनाफा 35 हजार के करीब होता है.

PM मोदी ने भी की सराहना

सविता येलणे के कार्य की सफल गाथा पीएम नरेंद्र मोदी तक भी पहुंची है. उमेद प्रकल्प के अंतर्गत औरंगाबाद गयी थी. उस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भी शिरकत की. उस वक्त सविता येलणे ने उनके सामने सेंद्रीय खेती करने का तरीका व उससे होने वाले फायदे की जानकारी दी थी, जिस कारण पीएम मोदी ने उनके कार्य की प्रशंसा कर सराहना की.

Woman Farmer, Wardha

विषमुक्त सब्जियों की कर रही बिक्री

सेंद्रीय खेती के साथ ही विषमुक्त सब्जियों की भी बिक्री कर रही है. वे जयभोले विषमुक्त सब्जी बिक्री केन्द्र से खेत में उत्पादित विषमुक्त सभी सब्जियों की सीधे ग्राहकों तक बिक्री करती है, जिससे दलाली, हमाली बचने से आज उन्हें फायदा हो रहा है.

खेती के साथ उपव्यवसाय से फायदा

पारंपारिक खेती आज भी नुकसान में है. परंतु खेती के साथ अगर उपव्यवसाय जोड़ा जाए तो फायदा होना ही है. इस संकल्पना से सेंद्रीय खेती के साथ उगाई गई सब्जी, फसलों की बिक्री खुद ग्राहकों को करती हूं. मुझे अन्य किसानों की तुलना में अच्छा मुनाफा होकर पारंपारिक खेती से होने वाले नुकसान से संवरने में भी मदद मिलती है.

-सविता येलणे, महिला किसान.