पानठेले वाले की बेटी बनी डाक्टर, प्रतिकूल परिस्थिति का किया सामना

  • गरीब मरीजों की सेवा का हर्षा ने लिया संकल्प

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वर्धा. रख हौसला वो मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा. थक कर ना बैठ मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आएगा…, ऐसा ही कुछ कारनामा हर्षा पांडुरंग गायकवाड ने कर दिखाया है़ पिता पानठेला चलाकर जैसे-तैसे अपने परिवार का पालनपोषण कर रहे थे़  इस प्रतिकूल परिस्थिति में डाक्टर बनने का सपना हर्षा ने देखा और स्वयं पर विश्वास रखकर उसे पूर्ण भी कर दिखाया है.

शहर के ओपीडी शुरू करने की तैयारी  

हर्षा कहती है कि पिता पांडुरंग शेषराव गायकवाड एवं मां कांता पांडुरंग गायकवाड ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया है़ उन्हीं की बदौलत आज मैं डाक्टर बनी हूं. हर्षा को एमडी की पढ़ाई पूर्ण करनी है़ एनईईटी पीजी की वह तैयारी कर रही है़  हाल ही में सिम्बॉयसीस इंटरनैशनल युनिवर्सिटी, पुणे में इमर्जंसी मेडिसीन में हर्षा का प्रवेश निश्चित हुआ है. शहर में ओपीडी शुरू करके गरीब मरीजों की सेवा करने का संकल्प उसने लिया है.  

अपने माता-पिता की इज्जत करना जरूरी

हर्षा ने कहा कि मेरे माता-पिता ने जीवन में काफी संघर्ष किया है़  पिता का पानठेला रहने से लोग हम पर हंसते थे़  लेकिन ऐसे लोगों को हमें नजरअंदाज करके अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए़  तुम्हारी पढ़ाई तो सामान्य मराठी माध्यम स्कूल में हुई है, ऐसे में मेडिकल की पढ़ाई कैसे करोगी. मेडिकल की पढ़ाई महंगी है, ऐसा कहकर लोग ताने मारते थे.

माता-पिता ने डाक्टर बनने का सपना मुझ पर कभी भी थोपा नहीं. मुझे मेरी पसंद चुनने का अवसर दिया़ मुझे दिल से डाक्टर बनना था और मेहनत लगन से मैं बनी हूं. नई पीढ़ी से कहना चाहती हूं, अगर अपने माता-पिता फटे कपड़े पहन रहे हो, तो इसकी शर्म न करें. क्योंकि वह स्वयं की इच्छाएं मारकर अपने बेटों की भलाई के लिए निरंतर प्रयास करते है़ माता-पिता की हमेशा इज्जत करनी चाहिए.  

हमें निरंतर मेहनत करते रहना चाहिए

पिता पांडुरंग गायकवाड ने कहा कि 14 वर्ष की उम्र में मेरे माता-पिता का निधन हो गया़  इसके बाद संपूर्ण परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर आने से 12 वीं तक ही पढ़ाई पूर्ण कर सका़ शादी के बाद फिर जीवन का संघर्ष शुरू हुआ़ शुरूआत में सब्जी बेची, फिर साइकिल पर पान बेचना शुरू किया़  पानठेला लाइन में अलग-अलग प्रवृत्ति के लोगों से सामना करना पड़ता है.

वहां के माहौल का कभी भी परिवार पर परिणाम न हो, इस बारे में सावधानी बरती़  बेटी को डाक्टर बनने का सपना दिखाया़ लेकिन उसे बताया कि तुम्हें सिर्फ प्रयास करने है. डाक्टर नहीं भी बनी तो कोई बात नहीं. आज उसे डाक्टर बनकर देख काफी खुशी होती है.