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    वर्धा. जिले में जगह-जगह फर्जी डाक्टर कार्यरत होने से मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है. कानूनी मान्यता नहीं रहते हुए भी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों की विशेष खोज अभियान समूचे जिलेभर में 5 जुलाई तक चलाई जा रहा है. पुलिस, राजस्व व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त रूप से खोज अभियान चलाया जा रहा है.

    फर्जी डाक्टर खोज अभियान जिलास्तरीय पुनर्विलोकन समिति की बैठक जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार की अध्यक्षता में ली गई. इस समय निवासी उपजिलाधिकारी अर्चना मोरे, जिला पुलिस उपअधीक्षक आबुराव सोनवने, जिला शल्य चिकित्सक डा. सचिन तड़स, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. राजू पराडकर, कस्तूरबा अस्पताल के अधीक्षक डा. कलंत्री, आचार्य विनोबा भावे अस्पताल के डा. कोडापे उपस्थित थे. 

    जिलाधिकारी ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश

    कानून के तहत निजी प्रैक्टिस की अनुमति होने वाले डाक्टरों ही अपने पैथी के अस्पताल चला सकते है. अनेक बार अनुमति नहीं रहते हुए भी अन्य पैथी की प्रैक्टिस की जाती है. ऐसे प्रैक्टिस गैरकानूनी होने से ऐसे डाक्टरों पर खोजकर उन पर कार्रवाई की जाती है. उन पर कार्रवाई करने के निर्देश जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार ने बैठक में दिए. अभियान 5 जुलाई तक चलाया जाएगा. अभियान में पुलिस विभाग, राजस्व विभाग व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का समावेश है. विशेषता ग्रामीण विभाग में इस अभियान अंतर्गत विशेष जांच की जाएगी. फर्जी डाक्टरों की खोजबीन करने आयएमए व नीमा इन डाक्टर संगठन के पदाधिकारियों का भी सहकार्य रहेगा. 

    इससे पूर्व जिले में मिले 48 फर्जी डाक्टर

    जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग ने इससे पूर्व चलाए अभियान में जिले में 48 फर्जी डाक्टर पाए गए थे. उसमें कुछ डाक्टर कानूनी अनुमति न लेने वाले तथा कुछ अन्य पैथी की प्रैक्टिस कतरे हुए पाए गए. उनमें से 10 डाक्टरों पर मामला दर्ज किया गया. कुछ फर्जी डाक्टरों ने कार्रवाई के डर से प्रैक्टिस बंद की. अन्य पैथी की प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों ने अपनी मूल पैथी की प्रैक्टिस आरंभ की.