- मानसून पहले आने के अनुमान से खेती कार्यो में तेजी
वाशिम. मौसम विभाग के अनुसार इस बार कुछ दिन पहले ही मानसून आने के अनुमान से जिले के किसान भी खरीफ बुआई के लिए तैयारियों में तेजी से जुट गए है़ गत वर्ष के खरीफ सीजन में सोयाबीन फसल निकालते समय ही वापसी की बेमौसम बारिश होने के कारण किसानों के फसलों का बड़ा नुकसान हुआ था़ जिससे निराश हुए किसानों ने रबी मौसम पर जोर देते हुए विविध फसलों का उत्पादन लिया़ इस में इस बार जिले में किसानों ने ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई भी की थी़ लेकिन यह फसल भी अपेक्षित रुप से नहीं हो सकी़ इस में अनेक किसानों को बुआई का खर्च भी निकल नहीं सका़.
अब बारिश के मौसम के लिए सामान्यतहा 23 दिनों का अवधि शेष है. मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून कुछ दिन पहले ही आने के अनुमान से किसानों अपने खेती कार्यो को अधिक गतिमान कर दिया है. कड़ी धूप में किसान आनेवाली बुआई के लिए खेती तैयार करने में तेजी से जुट गए है़ इस दौरान किसान खेती की मशक्कत कार्यो के साथ ही आर्थिक नियोजन के लिए प्रयास करते नजर आ रहे है़
किसान बड़े उत्साह से खेती क काम में जुटे
पिछले साल कोरोना की स्थिति के कारण किसानों को विविध कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था़ लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण नहीं के बराबर रहने से किसान बड़े उत्साह से खेती के काम में जुट गए है़ इस में मुख्यतहा किसानों व्दारा खरीफ मौसम की तैयारी के लिए अभी से पैसे के जुगाड़ में लग गए है़ व आर्थिक नियोजन के लिए जोड़ करने की शुरुआत की है़ विशेष कर ग्रामीण भागों में किसानों की आर्थिक जोड़ करने के लिए भागदौड़ शुरू हो गई है़
किसानों पर महंगाई का असर
जिले के ग्रामीण भागों में अधिक तर किसानों का अर्थकारण खेती पर निर्भर है़ अब 23 दिनों पर खरीफ सीजन आया हुआ है़ बारिश के पहले ही किसानों को अपने खेत बुआई हेतु तैयार करना पड़ता है़ जिस के लिए खेती के काम कुछ किसान स्वयं ही करते है तो कुछ किसान मजदूर व्दारा करवाते है़ विगत कुछ वर्षो से खेती के मशक्कत के काम के लिए समय पर मजदूर नहीं मिलते. जिससे अनेक किसान खेती के काम ट्रैक्टर व्दारा कर रहे है़ इस बार डीजल के बढ़े भाव से किसानों को ट्रैक्टर से काम करने के लिए अधिक पैसे देने पड़ रहे है़ इस दौरान मजदूर रहो अथवा ट्रैक्टर व्दारा बुआई पूर्व व बुआई दरमियान के काम करने के लिए आर्थिक रुप से तैयारी रखना ही पड़ता है़ पिछले वर्ष से कोरोना के संकट से सभी क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से प्रभावित हुए है़ इस का असर किसानों पर हुआ था़
खाद खरीदी करने का नियोजन
अभी किसानों व्दारा खेती के लिए सीजन पूर्व मशक्कत के लिए व बुआई के लिए बीज, खाद खरीदी करने का नियोजन किया जा रहा है़ समय पर खाद मिलने के भरोसे नहीं रहते हुए अभी से खाद की खरीदी करने का नियोजन कुछ किसानों व्दारा किया जा रहा है़ इस के लिए पैसे के जोड़ करने के लिए वे भागदौड़ कर रहे है़ कुछ किसान इस वर्ष का खरीफ मौसम कैसा रहेगा इस का अंदाजा लगाकर बुआई की तैयारी में जुट गए है़.
इस में भी इस वर्ष डीएपी खाद की जिले के लिए 57,000 बोरे की मांग रहते हुए केवल 28,000 बोरे ही मिलने वाले है. जिससे यह खाद की किल्लत होने की चर्चा होने से किसान चिंता ग्रस्त हो रहे है़ पिछले वर्ष अच्छी बारिश होकर भी बारिश के वापसी की लौटते समय हुई बेमौसम बारिश से किसानों को खरीफ के फसलों का नुकसान हुआ था़ परिनाम तहा किसानों के पास अब आनेवाले खरीफ मौसम के लिए आर्थिक समस्या खड़ी हो गई़
किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा
बुआई के लिए किसानों को फसल कर्ज समय पर उपलब्ध होने के लिए प्रशासन ने बैंकों को सूचित किया है. पिछले वर्ष खरीफ मौसम में फसल निकालने पर आने पर बैमौसम बारिश व फसलों पर के रोगो से किसानों के हाथ में आयी अच्छी खासी फसल में घट आयी थी़ तो रबी मौसम में भी बदलते मौसम का फटका इन फसलों लगकर किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. इस दौरान मानसून का कुछ दिन पहले आगमन होने के अनुमान से जहां पर किसानों में उत्साह हो गया है़.
वही दूसरी ओर बीज, खाद की बढ़ते भाव व महंगाई के कारण अपने नियोजित आर्थिक बजट से पूर्तता होगी अथवा नहीं, समय पर आर्थिक समस्या खड़ी नहीं होना इसलिए ग्रामीण भागों में अनेक किसान अभी से धनसेठ के व्दार पर जाकर साहूकार के घर पर चक्कर काट रहे है़ कुल खरीफ की तैयारी के लिए किसानों ने आर्थिक जुगाड़ करने के लिए भागदौड़ शुरू की है़