मिट्टी का उपयोग कर बनायी आकर्षक गणेशमूर्ति, अखबार विक्रेता लडके के हाथों का कमाल

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    यवतमाल. शहर में इन दिनों गणेशोत्सव की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. मूर्तिकार आकर्षक गणेश मूर्तियां बनाने में व्यस्त है. इसी कडी में शहर में सुबह सवेरे अखबार बांटने का काम करनेवाले लडके ने भी अपने हाथों का कमाल दिखाते हुए लाल मिट्टी का उपयोग कर आकर्षक गणेशमूर्तियों को आकार देने का काम कर रहा है. सरकार के पर्यावरण पूरक नियमों का पालन करते हुए विश्वशांति नगर में रहनेवाले युवक ने गणेश मूर्तियां बनाकर पर्यावरण सुरक्षा का सामाजिक संदेश देने का काम किया है.

    बता दें कि शहर के विश्वशांति नगर में रहनेवाला मूर्तिकार लखन सोनुले के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. लखन के पिता दिहाडी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते है. अपने पिता के उपर का भार कुछ हलका हो इसके लिए लखन ने सुबह सवेरे अखबार बांटने का काम शुरू किया. अखबार बांटने से मिलनेवाली रकम वह अपनी शिक्षा पर खर्च करता है. अखबार बांटते समय लखन को शहर में कुछ मूर्तिकार गणेश मूर्तियों को आकार देते नजर आए. बचपन से ही मूर्तियां बनाने की कला अवगत रहने से लखन ने मूर्तिकारों के साथ पहचान बना ली और देखते ही देखते मूर्तियों को आकार देने का काम शुरू कर दिया.

    गणेशोत्सव के दौरान मूर्तिकारों के पास जाकर मिट्टी की मूर्तियां बनाने का काम प्रारंभ किया. लाल मिट्टी का उपयोग कर लखन ने बेहतरी मूर्तियां बनाना शुरू किया. विभिन्न आकारवाली मूर्तियां बनाकर उनकी बिक्री कर छोटी मोटी आमदनी मिलने पर लखन ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया..  पिछले 9 वर्ष से लखन पेपर वितरण करना का काम कर रहा है. इस काम को लखन का छोटा भाई चेतन  की भी साथ मिलती है. साथ ही पिछले 5 वर्षे से लखन पर्यावरण पुरक गणेश मुर्तियों का निर्माण कर प्राकृतिक सरंक्षण का संदेश देने का काम कर  रहा है.

    पर्यावरण परक मूर्तियां बनाने पर जोर

    सरकार ने प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियां बनाने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे में शुरुआती दौर में गणेश मूर्तियां बनाते समय कोई भी बाधाएं ना आए इसके लिए घरेलू सार्वजनिक सभी गणेश मूर्तियों को लाल मिट्टी, तनस, गेंहू और भूसे का उपयोग कर बनाना शुरू किया. प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग कर मूर्तियों को आकार देने का काम किया जा रहा है.  ताकी मुर्ती को विर्सजित करने  के बाद वह कुंड में आसानी से घुल जाए.

    -लखन सोनुले, नवोदित मूर्तिकार

    बाजार में पीओपी मूर्तियों का बोलबाला

    प्रकृति के लिए हानिकारक रहनेवाली पीओपी मूर्तियों की बिक्री पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है. बावजूद इसके शहर में अनेकों जगहों पर पीओपी का इस्तेमाल की गई गणेश मूर्तियां बिक्री के लिए रखी गई है. यह मूर्तियां काफी आकर्षक होने से लोग इन मूर्तियों की खरीदी पर ज्यादा जोर दे रहे है. बाजार में मिट्टी से बनी मूर्तियां मिलना कठीन हो गया है.

    पीओपी और लाल मिट्टी में काफी अंतर

    लाल मिट्टी का उपयोग कर बनायी गई मूर्तियां आसानी से पानी में विसर्जित हो जाती है. लेकिन पीओपी से बनी मूर्तियां पानी में घुल नहीं पाती है. जिससे पर्यावरण का नुकसान होता है. सार्वजनिक कुंओं, नदी, तालाब और कृत्रिम तालाबों में पीओपी मूर्तियां विसर्जित करने के बाद जलचर जीवों को भी खतरा निर्माण होता है. पीओपी मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए रासायनिक रंगों का उपयोग किया जाता है. वहीं मिट्टी की मूर्तियों में प्रकृति की महक होती है. 

    100 से अधिक मूर्तियां बनकर तैयार

    मूर्तिकार लखन सोनुले ने बताया कि शुरूआती दौर में मूर्तियां बनाने का अनुभव काफी कम था. इसीलिए मूर्तियों की मांग भी काफी कम थी. लेकिन पिछले साल से मूर्तियों की डिमांड बढ गई है. मूर्तियों को आकार देने के लिए कम से कम तीन महीने का अवधि लगता है. बीते साल जहां 60 मूर्तियां बनायी थीं. वहीं इस बार 100 से ज्यादा मूर्तियां बनकर तैयार रखी गई है. यह सभी मूर्तियां पर्यावरण परक है.