हाशिवरात्रि के पर्व पर अमृतेश्वर संस्थान में भाविकों का तांता

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    • भाविकों को  अल्पोपहार का किया वितरण 

    उमरखेड. तहसील की धार्मिक, सामाजिक प्रतिष्ठा बढानेवाला लेकिन  सरकार ने नजर अंदाज किए जगह यानी  हरदडा का अमृतेश्वर संस्थान सरकार का ‘क’ वर्ग दर्जा प्राप्त हरदडा के इस  पुरातन देवस्थान को स्थानीय राजनितिक, सामजिक शक्ती कम पड  रही है.  जिस वजह से इस अमृतेश्वर का विकास नही हुआ.  महाशिवरात्री के पर्व पर दो वर्ष से बंद पडा मंदीर भविकों के लिए खुला किया था. जिस वजह से दर्शन के लिए भाविकों ने ताता लगाया था.  ऐसे में सामाजिक कार्यकर्तोओं से श्रद्धालूओं को अल्प भोजन का वितरण किया गया. 

     विदर्भ – मराठवाडा सामेत  आंध्रप्रदेश, तेलंगणा राज्य के भाविक श्रावण माह में  अमृतेश्वर के दर्शन के लिए आते है. महाशिवरात्री पर्व पर इस जगह  हजारों की संख्या में श्रद्धालू आते है. लेकिन राजनितिक व प्रशासन की इस मंदीर के प्रति उदानसिता नजर आ रही है. ग्रामिण इलकों में चुनाव का प्रचार करते समय अमृतेश्वर का दर्शन लेकर प्रचार को शुरूआत करते है.  लेकिन विकास के प्रति उदानिसता नजर आती है. जिस वजह से स्थानीय ट्रस्ट ने भाविकों से मदद से महादेव मंदीर के विकास कामों के लिए गती दी है. इस संस्थान में तहसील के एक ही दिन 25 विवाह किये है. पिछले दो वर्ष के समय अवधि में कोरोना संक्रमण से मंदीर बंद होने की वजह से शादियो को ब्र्रेक लगा.      

    इस संस्थान को पौरानिक धरोहर है.  इस संस्थाना की दो अलग अलग कहानी कि,  शिव अर्थात हर इस जगह पर उन्मत राक्षस के डर से छुपे थे उस समय  प्रत्यक्ष विश्वनायक इस जगह पर शिवशंभु के मदत के लिए आए थे. जिस वजह से समीप के गांवों को साचलदेव धानोरा व हरदडा यह नाम दिया गया है.

    दुसरी कहानी यह कि, आंध्र प्रदेश से श्रीशैल्य गाव से मुर्ती विक्री का व्यवसाय करनेवाले कारागीर का यह मुक्काम होने की वजह से यहा रखी मूर्ति जगह से नही हली जिस वजह से उसकी यहा पर प्रतिष्ठापना की.  इस महाशिवरात्री के पर्व पर  समाज सेवक  अजहरउल्ला खान,  प्रा. लक्ष्मीकांत नंदनवार ने श्रद्धालू को अल्प भोजन देने का निणर्य लिया ओर भाविकों को फल का वितरण किया. इस समय निलकंठ धोबे, वसंतराव देशमुख, डॉ. विशाल माने, अंकुश पानपट्टे, प्रशांत भागवत, प्रा. प्रदीप इंगोले, रवी भोयर,  व्यंकटेश पेन्शनवार, सलमान अशहर खान, अविनाश मुन्नरवार, अजय कानडे, सागर शेरे, ताहेर मिर्झा, शैलेश ताजवे, गजानन भारती, डॉ. शिवचरण हिंगमिरे ने  परिश्रम किये.