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    • विलीनीकरण की मांग पर एसटीकर्मी अडीग

    यवतमाल. राज्य परिवहन निगम को सरकार में विलीनीकरण की मांग को लेकर यवतमाल जिले में एसटी कर्मचारीयों द्वारा लंबे समय से हडताल की जा रही है. इसके चलते अक्तुबर माह से लेकर अब तक एसटी फेरीयां और रापनि का कामकाज पुरी तरह ठप्प पडा है.जिससे हडताली कर्मचारीयों पर सरकार और रापनि प्रशासन कारवाई में जुटा है.

    इसके चलते अब तक यवतमाल जिले में 301 कर्मचारीयों को निलंबित किया जा चुका है.बता दें की इससे पहले 291 कर्मीयों के निलंबन के बाद  शुक्रवार को यवतमाल विभाग के 10 कर्मचारीयों के निलंबन के आदेश जारी कीए गए.जबकी अनेक कर्मचारीयों को सेवा समाप्ती अथवा काम पर लौटने की नोटीस दी जा रही है.इससे पहले सरकार द्वारा हडतालीयों को काम पर लौटने के निर्देश देते हुए कर्मचारीयों के श्रेणीनुसार मुल वेतन में 41 फिसदी की बढोत्तरी की घोषणा की गयी थी, लेकिन इसके बावजुद एसटी कर्मीयों द्वारा एसटी को विलीनीकरण पर अडीग रहकर हडताल लगातार जारी है.

    जिले में विभागीय नियंत्रक कार्यालय के अधिन 9 एसटी डिपो में 2 हजार 622 कर्मचारी कार्यरत है, इसमें एसटी चालक, कंडक्टर, यांत्रीकी और प्रशासनिक कर्मचारीयों का समावेश है, इनमें केवल 324 कर्मचारी ही काम पर मौजुद है, इनमें प्रशासनिक और यांत्रिकी विभाग के कर्मीयों का समावेश है, तो दुसरी ओर हडताल के कारण हर दिन 22 एसटी फेरीयां मंजुर होने के बावजुद जिले में बस फेरीयां शुरु करने का विभागीय नियंत्रक कार्यालय द्वारा प्रयास किया गया, लेकिन कर्मचारी काम पर ना लौटने से केवल 6 फेरीयां की जा रही है.

    इस हडताल के कारण यवतमाल रापनि विभाग को अब तक करोडों रुपयों का नुकसान उठाना पडा है.इसी बीच रापनि प्रशासन द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक जो कर्मचारी काम पर लौटे है, सरकारी घोषणा के मुताबिक फिलहाल उनके ही मुल वेतन में बढोत्तरी को मंजुरी दी जाएंगी. इसे लेकर भी आगामी दिनों में हडताली कर्मचारीयों में रोष दिखाई दे सकता है.

    स्कुली छात्र, नागरिक हडताल से हुए त्रस्त

    इन दिनों रापनि की बसफेरीयां बंद होने से प्रशासन ने निजी यात्री वाहनों को अनुमति दी है, लेकिन उनके द्वारा मनमानी तौर पर किराया वसुला जा रहा है, इसके अलावा ग्रामीण के दुरदराज के गांवों और ईलाकों में यात्री वाहन नही जाते है, जिससे आम ग्रामीण नागरिकों को एसटी सेवा न मिलने से उन्हे दिक्कतें उठानी पड रही है, तो दुसरी ओर एसटी की पास पर यात्रा करनेवाले ग्रामीण ईलाकों के छात्र जो शहरी ईलाकों में पढाई के लिए आते है.

    उन्हे इस हडताल के कारण सबसे अधिक तकलीफें झेलनी पड रही है,सभी तहसीलों में इन दिनों शालाएं शुरु है, लेकिन सुबह और दोपहर के सत्र में शाला जानेवाले छात्रों कों एसटी बसें न होने से उन्हे खतरा मोल लेकर निजी यात्री वाहनों में यात्रा कर आर्थिक नुकसान सहना पड रहा है, तो दुसरी ओर यात्री वाहनों की कमी होने से ग्रामीण ईलाकों से आनेवाले छात्रछात्राओं को शाम के दौरान घर लौटने किसी से भी लिफ्ट मांगने की नौबत आ रही है.

    तो दुसरी ओर निजी ट्रैव्हल्स, यात्री बसों में कोरोना नियमों का उल्लंघन कर यात्री ठूंसकर भरे जा रहे है, लंबे पल्ले की यात्रा के लिए निजी यात्री वाहनों के संचालकों ने 10 से 15 फिसदी कराया बढा दिया है, इससे आम नागरिक जिन्हे लंबी दुरी या आंतरजिला यात्रा करनी है, उन्हे आर्थिक नुकसान सहना पड रहा है.