मदुरै (तमिलनाडु): मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने कहा है कि स्पा और मसाज पार्लरों (Spa & Massage Parlors) में संदेह के आधार पर सीसीटीवी कैमरे (CCTV Camera) लगाना ‘लोगों के निजता के उल्लंघन’ जैसा है और यह शरीर पर उनके अधिकार का उल्लंघन होगा। उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति जी. आर. स्वामीनाथन ने तिरुचिरापल्ली पुलिस को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक स्पा मालिक की याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की।
याचिका में स्पा संचालन में पुलिस हस्तक्षेप रोकने का भी अनुरोध किया गया था। न्यायाधीश ने रेखांकित किया कि सीसीटीवी कैमरे लगाना संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बात, जब तक कि कानूनी अनिवार्यता नहीं हो, कुछ जगहों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा सकते हैं। यह अनुच्छेद 21 (निजता) का उल्लंघन है।”
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘स्पा जैसी जगहों पर सीसीटीवी लगाना व्यक्ति के शरीर पर अधिकार का उल्लंघन होगा। यह ऐसे स्थान हैं जहां राज्य/प्रशासन की खोजी नजरों को जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।” अदालत ने कहा कि जिन जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने से लोगों के निजता का हनन हो सकता है उसपर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है और सरकार को इसपर विवेकपूर्ण तरीके से विचार करने और नियमों के उचित उपयोग के लिए सही तरीका खोजने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘सिर्फ इस संदेह पर कि मसाज पार्लरों में अनैतिक गतिविधियों का संचालन हो रहा है, किसी व्यक्ति के निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि सरकारी अधिसूचना में किसी भी व्यक्ति की निजता को नुकसान पहुंचाए बगैर प्रवेश निकास द्वारों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। (एजेंसी)