Women farmers are getting the benefit of solar irrigation, uninterrupted water flow reaches barren land

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    – ओमप्रकाश मिश्र

    रांची : सोलर पंप माउंटेड साइकिल इकाइयों (Solar Pump Mounted Cycle Units) से झारखंड (Jharkhand) के दूरस्थ क्षेत्रों में सिंचाई (Irrigation) की सुविधा सुनिश्चित हो रही है। खूंटी के कर्रा स्थित सांगोर गांव की बाहलेन अब आसानी से अपने खेतों तक पानी पहुंचा पा रही हैं। यहां की 33 महिलाएं (Womens) उच्च मूल्य कृषि के तहत सब्जियों (Vegetables) की खेती कर रही हैं। झारखंड में छोटे और सीमांत किसानों के खेतों तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाने के मुश्किल कार्य को सोलर पंप माउंटेड साइकिल के जरिए आसान बनाया गया है।

    जिन खेतों तक साधारण पंप से पानी पहुंचाना मुश्किल होता था, आज जोहार परियोजना के माध्यम से उत्पादक समूह की महिलाएं साइकिल आधारित सोलर पंप से छोटे–छोटे खेतों तक आसानी से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा रही है। साइकिल आधारित सोलर पंप सिंचाई की ऐसी आधुनिक व्यवस्था है जिसकी मदद से किसान सोलर प्लेट और पंप को साइकिल की तरह अपने खेत और नजदीकी जलाशयों तक आसानी से ले जाते हैं। बाहलेन बताती हैं, इस सोलर पंप के माध्यम से किसान अपने-अपने खेतों की सिंचाई आसानी से कर पा रहे हैं। पहले पटवन के लिए डीजल पंप का उपयोग करना पड़ता था, जिससे खेती में लागत बढ़ जाती थी। साइकिल आधारित सोलर पंप की मदद से किसान दिन के सात घंटे का पटवन बिना किसी खर्च के कर पा रहे हैं। 

    किसानों को मिल रहा सीधा लाभ 

    राज्य के 988 उत्पादक समूहों को चलंत सोलर पंप और 650 सोलर लिफ्ट सिंचाई उपकरण उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से लगभग 19,650 किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। सोलर चलंत पंप गांव और खेत के दुर्गम रास्तों पर भी ले जाया जा सकता है। इससे किसानों को रबी आदि की फसलों को सिंचित करने में मदद मिल रही है। आगामी 6 महीनों में कुल लिफ्ट इकाइयों की संख्या बढ़ा कर 1310 करने की योजना है। इसके एवज में 1200 इकाइयों का पंजीकरण और स्थल निरीक्षण कर अनुमोदित किया जा चुका है। वहीं आगामी 6 महीने में कुल सिंचित भूमि बढ़ा कर 20 हजार हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। 

    जोहार परियोजना वरदान बन कर आया 

    खूंटी के मुरहू प्रखंड स्थित पंचघाघ जलप्रपात से सटे कोलोम्दा गांव के उत्पादक समूह की 46 महिला किसान अग्रणी किसान हैं, लेकिन खेती योग्य जमीन होते हुए भी उपज ज्यादा नहीं हो पाती थी। उत्पादक समूह की सदस्य राधिका देवी बताती हैं कि हम वर्षों से ही खेती-बाड़ी पर निर्भर रहे हैं। हम सभी पारंपरिक ढंग से खेती करते आ रहे हैं। सिंचाई की समस्या से बहुफसलीय खेती नहीं कर पा रहे थे। लेकिन, अक्टूबर 2020 में जोहार परियोजना हमारे लिए वरदान बन कर आई। समुदाय आधारित लिफ्ट सिंचाई इकाई की शुरुआत की गई है, इस सिंचाई इकाईं के जरिए बदलाव अब दिखने लगा है। लिफ्ट सिंचाई के आने से हम आसानी से तीन फसल ले पा रही हैं। इस तरह खेती में उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के लिए जोहार परियोजना मील का पत्थर साबित हो रहा है। किसानों को सिंचाई सुविधा से जोड़कर फसल उत्पादन क्षमता और आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए सोलर आधारित सिंचाई की सुविधा से राज्य के किसानों को जोड़ा जा रहा है। इस पहल की खासियत है कि सिंचाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, सिंचाई इकाईं का उपयोग भूगर्भ जल की निकासी के लिए न करके आस-पास के सतही जलस्रोतो के जरिए सिंचाई की सुविधा बहाल की जाती है, ताकि भूगर्भ जलस्तर बरकरार रहे। 

    करीब 19650  किसानों को मिल रही सौर लिफ्ट सिंचाई की सुविधा 

    जोहार परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं की आय दोगुनी करने की दिशा मे कार्य किये जा रहे है, इसी कड़ी में उत्पादक समूह से जुड़ी महिला किसानों को उच्च मूल्य कृषि से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि अच्छी उपज और बड़े बाजार व्यवस्था के जरिए उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके। किसान पूरे साल खेती कर सके, इसके लिए परियोजना के तहत सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। उत्पादक समूह से जुड़े किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर लिफ्ट सिंचाई उपलब्ध कराया गया है। राज्य भर में अब तक 650 इकाइयों को वाटर यूजर ग्रुप के माध्यम से सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। करीब 650 इकाइयों से कुल 8745 हेक्टेयर (लगभग 21,600 एकड़) खेत में सिंचाई के लिए सालों भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। 

    जोहार परियोजना अंतर्गत उत्पादक समूहों के जरिए महिलाओं का वाटर यूजर ग्रुप बनाकर पानी की कमी वाले इलाकों में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। सोलर आधारित लिफ्ट सिंचाई इकाई और साइकिल माउंटेड सोलर पंप ग्रामीण महिलाओं के वाटर यूजर ग्रुप को उपलब्ध कराया गया है। राज्य के करीब 20 हजार किसान परिवारों को इस पहल के जरिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।