Sterling Wilson Solar commissioned 25 MW solar power project in Oman
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब किसान अपने खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकेंगे। खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने से ने केवल किसानों की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकेगी, बल्कि उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। किसानों के खेतों में सौर उर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने कुसुमन योजना की शुरुआत की है।

    यूपीपीसीएल ने कुसुम योजना के तहत 6 जिलों में निजी विकासकर्ताओं किसानों के साथ 7 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं पर पावर परचेज एग्रीमेंट किया है। इसके तहत किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना करेंगे जिसमें विभिन्न बैंक उनकी मदद करेंगे और सरकार भी इसमें सब्सिडी देगी। इन सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्रों के जरिए पैदा होने वाली बिजली को किसान सरकार या निजी बिजली कंपनियों को बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे। योजना के तहत बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया तथा लखनऊ में सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना की जाएगी।

    किसानों को मिलेंगे दो तरह के लाभ

    उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया कि बिजनौर के ग्राम विलासपुर में 1.5 मेगावाट, हाथरस के ग्राम मौहारी में आधा मेगावाट, महोबा के ग्राम देवगांव में एक मेगावाट, जालौन के ग्राम खुक्सिस में एक मेगावाट, देवरिया के ग्राम बरियारपुर में एक मेगावाट और लखनऊ के ग्राम परसेनी में 2 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना से किसानों को दो तरह के लाभ मिलेंगे। पहले पुराने डीजल सिंचाई पंप की जगह वो सोलर पैनल से चलने वाले सिंचाई पंपों का प्रयोग कर पाएंगे। दूसरा उन्हें खेत में लगे सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली को बिजली कंपनियों को बेच कर एक्स्ट्रा आय के तौर पर सालाना 80,000 रुपए तक कमा सकते हैं। सरकार इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी के तौर पर सोलर पंप की कुल लागत का 90 फीसदी रकम देती है।

    बंजर जमीनों पर सोलर पैनल लगेगा

    इस योजना के अंतर्गत किसान अपनी बंजर जमीनों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा से बिजली बना सकते हैं और इसे विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी बिजली कंपनियों को बेचकर प्रतिमाह पैसा कमा सकते हैं। कुसुम योजना के तहत एक मेगा वाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए पांच एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। एक एकड़ जमीन पर 0.2 मेगा वाट बिजली पैदा की जा सकती है। इस योजना के तहत दिए जाने वाले पंप बिजली और डीजल से चलने वाले कृषि पंप की जगह स्थापित किए जाएंगे।