CM Yogi

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    लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने ‘नमामि गंगे’ परियोजना (Namami Gange Project)  के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। सीएम योगी (CM Yogi ) ने कहा कि  मां गंगा, उत्तर प्रदेश को प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार हैं। गंगा जी के बहाव के सर्वाधिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। यह हमारी आस्था का केंद्र बिंदु हैं तो अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार भी हैं। गंगा और सहायक नदियों को अविरल-निर्मल बनाने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में जारी ‘नमामि गंगे परियोजना’ के अत्यंत संतोषप्रद परिणाम देखने को मिले हैं। गंगा और सहायक नदियों की स्वच्छता के इस अभियान में केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों में जनसहयोग भी प्राप्त हो रहा है। आज गंगा नदी में डॉल्फिन की वापसी हुई है तो तकनीक का प्रयोग कर नदियों को स्वच्छ बनाया जा रहा हैं। 

    सीएम ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना गंगा जी के साथ साथ सहायक नदियों के लिए भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के मार्गदर्शन में यहां अभूतपूर्व कार्य हुआ है। कानपुर के जाजमऊ और सीसामऊ में गंगाजी में गंदे पानी को गिरने से रोकने के लिए प्रभावी प्रयास किया गया है। आज यह सेल्फी पॉइंट बन गया है। प्रयागराज कुंभ 2025 के प्रारंभ होने से पहले तक मां गंगा को अविरल-निर्मल बनाने का संकल्प पूर्ण करना होगा। नदियों को सीवरेज के गंदगी और पानी को विषाक्त होने से बचाने के लिए एसटीपी लगाए जाने की कार्रवाई में तेजी की अपेक्षा है।

    करना होगा ठोस प्रयास

    सीएम ने कहा कि गंगा सहित सभी नदियों की अविरलता, निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए और प्रयास किए जाएं। मां गंगा अनादिकाल से हमारी आस्था का केंद्र रही हैं। ‘अर्थ गंगा’ अभियान का सर्वाधिक लाभ उन करोड़ों लोगों को होगा जिनकी आजीविका गंगा पर ही निर्भर है। अर्थ गंगा से सकल घरेलू उत्पाद में तीन प्रतिशत का योगदान होने के लक्ष्य के साथ हमें ठोस प्रयास करना होगा। विशेषज्ञों की सहायता से इसे एक मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास किए जाएं।

    प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के अच्छे परिणाम देखने को मिले 

    सीएम योगी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और विषमुक्त खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने गंगा के दोनों तटों पर 5-5 किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। प्रदेश में 27 जनपद गंगा से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड के 7 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। वर्तमान में लगभग 85 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है। इस बार यहां उत्पादन अच्छा हुआ है। जीरो बजट वाली इस खेती के अच्छे परिणामों के तुलनात्मक रिपोर्ट के साथ किसानों को जागरूक किया जाए। राज्य स्तरीय प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन भी किया गया है। प्राकृतिक खेती के अभियान से अधिकधिक किसानों को जोड़ा जाना चाहिए।

    एक लाख से अधिक किसान जैविक खेती से लाभान्वित हो रहे 

    सीएम ने कहा कि अब तक प्रदेश में 66,180 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती तहत लाया गया है। एक लाख से अधिक किसान जैविक खेती से लाभान्वित हो रहे हैं। सभी किसानों को भारत सरकार के जैविक खेती पोर्टल से जोड़ा जाए। जैविक उत्पादों की पहचान करने और गुणवत्ता सुनिश्चित के लिए सभी मंडल मुख्यालयों पर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसी प्रकार सभी कृषि मंडियों में जैविक उत्पाद के आउटलेट भी स्थापित किए जाएं। गंगा का हर घाट पवित्र है। इसके किनारे अनेक तीर्थ क्षेत्र, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थल और असीम प्राकृतिक सुंदरता है। हमें इन क्षेत्रों में पर्यटन की नवीन संभावनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। यहां एडवेंचर टूरिज्म, वॉटर स्पोर्ट टूरिज्म की अपार संभावना है। प्रधानमंत्री के प्रयासों से इस दिशा में वाराणसी में प्रेरक प्रयास हुआ है। हमें रिवर क्रूज टूरिज्म, वॉटर स्पोर्ट/कैम्पिंग सुविधाओं के साथ वन्य जीव पर्यटन के मॉडल को विकसित करना चाहिए।

    नमामी गंगे के अनुभवों से सीख लें

    सीएम ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों, पूर्व सैनिकों आदि के सहयोग से गंगा नर्सरी विकसित करने के प्रयास किए जाएं। यहां हमें नर्सरी से लेकर फलों के प्रसंस्करण बाकी पूरी वैल्यू चेन बनानी चाहिए। यह ‘गंगा उत्पाद’ गंगा किनारे के लोगों के लिए आय के स्थायी साधन बन सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नदी शहरों के लिए नई सोच’ की आवश्यकता बताई है। नमामी गंगे के अनुभवों से सीख लेते हुए नदी किनारे बसे शहरों की योजना बनाने में नई नदी केंद्रित सोच की जरूरत है। यह शहर के मास्टर प्लान का हिस्सा होना चाहिए। आईआईटी कानपुर के तकनीकी सहयोग से इस सम्बंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए।

    व्यापक जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नदी संस्कृति के प्रति व्यापक जागरूकता बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण, नदियों की स्वच्छता, नदी पुनर्जीवन, स्वच्छता के अभियान से बच्चों को भी जोड़ा जाना चाहिए। माध्यमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में इस विषय को शामिल किया जाए। युवक मंगल दल/महिला मंगल दल के माध्यम समाज को जागरूक करने के प्रयास हों। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वर्ष 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक कानपुर में सम्पन्न हुई थी। अब आगामी 30 दिसम्बर को द्वितीय राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक प्रस्तावित है। तदनुरूप आवश्यक तैयारी समय से पूरी कर ली जाए।