West Bengal by-election
FILE- PHOTO

Loading

मथुरा/लखनऊ: जातीय जनगणना (Caste Census) और ओबीसी आरक्षण बढ़ाओ सम्मेलन की मंडलवार शुरुआत आगरा के मथुरा जिले (Mathura District) से हुई। सम्मेलन में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा और मैनपुरी के पिछड़ी जातियों के नेता शामिल हुए। गौरतलब है कि प्रदेश मुख्यालय के सम्मेलन में पूरे प्रदेश में मंडलवार कार्यक्रम की रूपरेखा तय हुई थी। मंडलवार कार्यक्रम मथुरा के बाद 18 जून को कानपुर, 19 जून को वाराणसी, 21 जून को सहारनपुर, 22 जून को बरेली, 25 जून को अयोध्या, 26 जून को देवीपाटन मंडल में प्रस्तावित हैं। जुलाई के पहले सप्ताह तक सभी 18 मंडलों में सम्मेलन हो जाएंगे। इसके बाद जिलावार सम्मेलन किए जाएंगे। 

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए संगठन सचिव अनिल यादव ने कहा कि बीजेपी वैचारिक तौर पर पिछड़ी जातियों की विरोधी है। संघ परिवार हमेशा आरक्षण और सामाजिक न्याय को खत्म करने के लिए गिरोहबंदी करता रहा है। बीजेपी ने सिर्फ पिछड़े समाज का ठगने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय इतिहास का सबसे क्रांतिकारी मुद्दा उठाया है कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा समाप्त की जाए और ओबीसी समाज का आरक्षण बढ़ाया जाए। यह सामाजिक न्याय की क्रांति है, इससे पिछड़े समाज की दशा और दिशा बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के बिना सामाजिक न्याय की परिकल्पना पूरी नहीं होगी। 

ओबीसी समाज के हित के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस 

सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की चार राज्यों में सरकार है, जिसमें से तीन मुख्यमंत्री ओबीसी समाज से हैं। पूरे देश में ओबीसी समाज के हित के लिए कांग्रेस संघर्ष कर रही है।  यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ओमवीर यादव ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी-योगी सरकार में हुई भर्तियों में ओबीसी समाज के युवाओं का हक मारा गया है। ओबीसी समाज का उत्पीड़न चरम पर है। 

लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को करारा जवाब दिया जाएगा

प्रदेश सचिव मुकेश धनगर ने कहा कि अति पिछड़े समाज को बीजेपी ने सिर्फ इस्तेमाल किया। भागीदारी के नाम पर बीजेपी ने केवल अपने एजेंटों को पद दिया। आने वाले लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को करारा जवाब दिया जाएगा। 

सम्मेलन में पारित हुए ये प्रस्ताव

  • सामाजिक न्याय की अवधारण बिना जातीय जनगणना के पूरा नहीं हो सकती है, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जातीय जनगणना जरूरी है। 
  • आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तत्काल हटाया जाए ताकि पिछड़ी जातियों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण मिले। 
  • ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर आबादी के अनुपात में आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
  • अतिपिछड़े समाज की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।