नगरसेवकों के खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर, भाजपा के टिकट पर लड़ा था चुनाव

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    उल्हासनगर. महानगरपालिका महापौर (Municipal Mayor) और पिछले महीने संपन्न महानगरपालिका स्थायी समिति (Municipal Standing Committee) के सभापति (Chairman) के चुनाव में भाजपा (BJP) की निशानी पर चुनाव जीते  नगरसेवकों में से 16 नगरसेवकों  द्वारा पार्टी के व्हिप का खुलेतौर पर उल्लघंन करते शिवसेना उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने का मामला अब मुंबई उच्च न्यायालय पहुंच गया है। जिससे क्रॉस वोटिंग करने वाले नगरसेवकों के बीच उल्हासनगर महानगरपालिका के आम चुनाव के परिणाम के बाद महानगरपालिका में भाजपा की पहली बार सत्ता स्थापित हुई थी। लेकिन भाजपा के लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता टीओके (टीम ओमी कलानी) और जीवन इदनानी के नेतृत्व वाली साई पार्टी ने निर्धारित किया था।

    ओमी कालानी के नेतृत्व वाली टीओके के उम्मीदवारों ने भाजपा की निशानी पर चुनाव लड़ा था। लेकिन भाजपा हाई कमान द्वारा विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट देने का दिए गए आश्वासन के बावजूद टीओके अर्थात शहर की राजनीति में अच्छा प्रभाव रखने वाले कालानी परिवार को टिकट न देने से टीओके ने भाजपा को महानगरपालिका की सत्ता से बाहर कर दिया। इस मामले में भाजपा ने दो साल पहले 9 सदस्यों के खिलाफ कोकण संभागीय आयुक्त के पास याचिका दायर की थी। हालांकि, भाजपा ने कोकण संभागीय आयुक्त पर मामले की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हाल ही में स्टैंडिंग के चुनाव में 7 सदस्यों के खिलाफ कोंकण संभागीय आयुक्त के पास एक याचिका दायर किए जाने से कुल 16 नगरसेवको के पदों को खतरा है।

    कालानी परिवार को भाजपा द्वारा विधानसभा के चुनाव में पार्टी का टिकट न दिए जाने के कारण 2019 में महापौर के चुनाव में बीजेपी से नाराज टीम ओमी कालानी के 9 नगरसेवकों ने खुलेआम बगावत की और महापौर के तौर पर शिवसेना की लीलाबाई आशान को जीता दिया। नतीजतन भाजपा जो महानगरपालिका में बहुमत में थी, टीओके के कारण सत्ता खोनी पड़ी और विपक्ष में बैठने पर मजबूर हुई। इस तरह के परिवर्तन से भाजपा को काफी शर्मिंदा होना पड़ा था।

    भाजपा में अपनी पराजय के बाद हार का सबब बनी टीओके के  9 बागी नगरसेवको  के खिलाफ कोंकण विभागीय आयुक्त के पास में शिकायत  की थी। हालांकि, बीजेपी नगरसेवक  राजेश वधारिया ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कोंकण मंडलायुक्त जो सत्ता पक्ष के दबाव में है। वह सिर्फ तारीखें दे रहे हैं। इसलिए, भाजपा ने इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है और तीन महीने के भीतर कोंकण संभागीय आयुक्त उक्त मामले को सुलझाए ऐसी मांग की है। इसी प्रकार दो माह पूर्व हुए प्रभाग समिति के सभापति पद के चुनाव में प्रभाग 1 से 4 तक भाजपा और साईं  पार्टी के  7 सदस्यों ने  पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया है।

    भाजपा के जिला अध्यक्ष और महानगरपालिका में भाजपा के गुटनेता जमनू पुरसवानी ने जानकारी दी है कि उन 7 नगरसेवकों के खिलाफ भी कोकण संभागीय आयुक्त के पास लिखित शिकायत की  है। जिन्होंने पिछले महीने स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन के चुनाव में भाजपा के व्हिप् को नहीं माना और भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ वोट किया।