
मुंबई : दुनिया (World) में जन्म लेने के बाद मौत (Death) का सफर तो एक दिन सभी को तय करना है। हमारे देश में अंतिम संस्कार के लिए धर्म (Religion) के हिसाब से अलग-अलग प्रावधान हैं। जहां हिन्दू (Hindu) धर्म में शव (Dead Body) को जलाये जानें का प्रावधान है, वहीं मुस्लिम (Muslim) धर्म में शव को दफ़न करने की परंपरा है। हिन्दू धर्म में शव को अग्नि देने से पहले पानी से भरे मटके को फोड़ने का रिवाज इसी के साथ जुड़ा है।
जो सदियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते है ऐसा क्यों किया जाता है? इसके पीछे कोई लॉजिक है या फिर अंधविश्वास। तो आइये आज हम जानते है इसके पीछे का रहस्य कि क्यों करते है ऐसा!
हिन्दू धर्म में जब शव के अंतिम संस्कार के समय शव का क्रिया-कर्म
शव का क्रिया-कर्म परंपरा के अनुसार ही किया जाता है। आपने हिन्दू धर्म में शव को कंधे पर ले जाते समय शव के साथ मटका भी ले जाते हुए देखा होगा, जो कि पानी भरा होता है। इस मटके को शव के साथ शमशान घाट पर ले जाया जाता है। मटके में छेद करके शव का परिक्रमा करके मटके को फोड़ दिया जाता है। जिसके बाद ही शव को अग्नि दिया जाता है।
दरअसल, इसके पीछे एक खास कारण है। बहुत पहले के समय में जब शमशान धाट नहीं होते थे। उस समय शव को खेतों में ही जलाया जाता था। मटके में पानी भर के और उसमे छेद करके शव का परिक्रमा करने के पीछे यही कारण माना जाता है कि जब शव को अग्नि दिया जाये तो आग उतने ही जगह में रह जाये और फैले नहीं। क्योंकि मटके से परिक्रमा करते समय उससे जो पानी गिरता है। उससे जमीन ठंडी हो जाती है जिससे आग फैलने का खतरा नहीं होता है।