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अमेरिका में एचआईवी (HIV) से संक्रमित एक महिला पूरी तरह ठीक हो गई है।

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    वाशिंगटन, एचआईवी (HIV) ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज होना नामुमकिन है। इस बीमारी से संक्रमित लोगों की अक्सर मौत हो जाती है। यह जानलेवा बीमारी ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस के संक्रमण की वजह से होती है। सालों से इस बीमारी का इलाज ढूंढने के लिए कई वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे है। इसी बीच खबर मिली है कि, अमेरिका के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से एचआईवी (HIV) से संक्रमित महिला का इलाज कर दिया है।

    मिली हुई जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में एचआईवी (HIV) से संक्रमित एक महिला पूरी तरह ठीक हो गई है। इसके साथ ही एचआईवी जैसी जानलेवा बीमारी से ठीक होने वाली यह पहली महिला बन गई है। अब तक दुनियाभर में सिर्फ 3 लोग ही HIV से ठीक हो पाए हैं।

    न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने बताया कि HIV का इलाज करने के लिए स्टेमसेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) किया गया। इस ट्रांसप्लांट के जरिए महिला का इलाज हुआ है। दरअसल, स्टेमसेल (Stem Cell) एक ऐसे शख्स ने दान किए थे, जिसके अंदर एचआईवी वायरस (HIV Virus) के खिलाफ कुदरती प्रतिरोध क्षमता थी।

    इस महिला के पहले सिर्फ 2 लोग ही एचआईवी (HIV) से पूरी तरह ठीक हुए थे। द बर्निल पेंशेंट के नाम से जाने गए टिमोथी रे ब्राउन 12 सालों तक HIV के चंगुल से मुक्त रहे और 2020 में कैंसर से उनकी मौत हुई। वहीं साल 2019 में HIV पॉजिटिव एडम कैस्टिलेजो का भी सफलतापूर्वक इलाज किया गया था।  

    स्टेमसेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) में अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical Cord) यानी गर्भनाल के खून का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक में अम्बिलिकल कॉर्ड स्टेमसेल को डोनर से ज्यादा मिलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। जिस तरफ बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है उसी तरह यह ट्रांसप्लांट किया जाता है। 

    बता दें कि, साल 2013 में महिला को एचआईवी (HIV) पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी। इसके 4 साल के बाद वह (ल्यूकेमिया) ब्लड कैंसर से पीड़ित हो गई। इस महिला का ल्यूकेमिया का इलाज हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के जरिए किया गया। जिसमें आंशिक रूप से मेल खाने वाले डोनर से कॉर्ड ब्लड लिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में महिला के करीबी रिश्तेदार ने भी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे ब्लड डोनेट किया। 

    महिला का आखिरी ट्रांसप्लांट साल 2017 में हुआ था । पिछले 4 सालों में महिला ब्लड कैंसर से पूरी तरह ठीक हो चुकी है। वहीं, इस ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद डॉक्टरों ने उसके HIV का इलाज भी बंद कर दिया। वहीं, महिला अब तक किसी वायरस की चपेट में फिर से नहीं आई है।