PM Imran Khan, who has accused the rigging of elections in Pakistan, now wants to use EVM in elections

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    लाहौर: पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) के खिलाफ अपना विरोध तेज करते हुए कहा कि केवल इस्तीफा देकर ही उन्हें ‘‘सम्मानजनक विदाई” मिल सकती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली (National Assembly) में बहुमत खोने के बावजूद बृहस्पतिवार को कहा था कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और ‘‘अंतिम गेंद तक खेलेंगे।” साथ ही, उन्होंने कहा था कि वह रविवार को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का सामना करेंगे, जिसमें फैसला होगा कि देश किस दिशा में जाएगा। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि इमरान खान के लिए अब कोई सुरक्षित रास्ता नहीं बचा है। 

    उन्होंने कहा, ‘‘ केवल इस्तीफा देकर ही उन्हें सम्मानजनक विदाई मिल सकती है। मैं उन्हें ऐसा करने की सलाह दूंगा।” उन्होंने कहा कि इमरान का राष्ट्रीय सुरक्षा मंचों तथा संस्थानों का ध्रुवीकरण करने और बदनाम करने का प्रयास अपमानजनक है। विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने बृहस्पतिवार को इमरान खान के राष्ट्र के नाम, सीधे प्रसारित किए गए संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘‘ यह आदमी लगातार साबित कर रहा है कि वह इस सर्वोच्च पद के लायक नहीं है। सबके सामने रोने के बजाय उन्हें कुछ साहस जुटाना चाहिए और अगर उनमें कुछ सम्मान बचा है तो इस्तीफा दे देना चाहिए।” 

    खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में फूट के बाद संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में उन्होंने बहुमत खो दिया है। उनके दो सहयोगी दलों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया और विपक्षी खेमे के साथ जा मिले। नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने 28 मार्च को पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद ए-95 के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और इस पर 161 सदस्यों ने दस्तखत कर रखे हैं। 

    इमरान को उनकी सरकार गिराने की विपक्ष की कोशिशों को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय निचले सदन में 172 वोट की जरूरत है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने हालांकि, दावा किया है कि विपक्ष के पास 175 सांसदों का समर्थन है और प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। गौरतलब है कि कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। साथ ही, पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से बेदखल नहीं हुआ है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं। (एजेंसी)