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  • 150 के करीब बसों का परिवहन

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गडचिरोली. कोरोना संक्रमण के चलते लागू किये लॉकडाऊन व संचारबंदी का महाराष्ट्र की जीवनवाहिनी समझे जोनवाले राज्य परिवहन निगम को भारी नुकसान उठाना पडा। विगत कुछ माह पूर्व रापनि के बसों के पहिये थमने के कारण रापनि के कर्मचारियों समेत यात्रियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पडा। ऐसे में अनलाक के दौरान राज्य सरकार ने रापनि की बसों को परिवहन की अनुमति प्रदान की कर अब पूरी क्षमता से यात्री परिवहन की अनुमति दी है। जिससे एसटी के पहियों ने अब रफ्तार पकडी है।

कोरोना कालावधि में शुरूआती दिनों में 20 से 25 बसों से सेवा प्रारंभ हुई थी। वहीं अब बसों की संख्या 150 के करीब पहुंचा है। जिससे जिले में रापनि की बसों ने रफ्तार पकडने की बात कहीं जा रही है। 

गडचिरोली जिला दुर्गम व अविकसित जिला है। जिले में यातायात की सुविधा बेहद कम होने से यहां के अधिकत्तर लोगों का आवागमन रापनि के बसों तथा निजी टैक्सियों से होता है। देश के यातायाता का मुख्य माध्यम रेलवे तथा आसमानों में उडान भरनेवाले हवाई जहाज तो जिलावासियों के लिए केवल सपना बनकर रह गए है। चीन से उपजे कोरोना वायरस ने भारत देश को जी अपनी जकड़ में ले लिया। इसमें राज्य का सबसे पिछडा गडचिरोली जिला भी अछूता नहीं रहा है।

गडचिरोली जिले में भी कोरोना महामारी का संकट बढता जा रहा है. कोरोना के चलते देश तथा राज्य में 24 मार्च से लॉकडाऊन व संचारबंदी घोषित की गई थी। जिससे निजी यात्री वाहन तथा रापनि के बसों पर भी पाबंदी लग गई थी। करीब दो से ढाई माह के कालावधि में रापनि के बसों के पहिए पुरी तरह से थमे  थे। जिससे रापनि को व्यापक नुकसान का सहना पडा। इसका असर रापनि कर्मचारियों समेत आम यात्रियों पर पडा। मई माह में राज्य सरकार ने नियमों के पालन करने की शर्त पर रापनि को बसों की सेवा प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे। जिसके तहत रापनि की बसे शुरू हुई।

शुरुवात के दिनों में कडे नियमों के चलते यात्रियों से मिलनेवाले अल्प प्रतिसाद के कारण काफी कम संख्या में बसों का संचालन हुआ। गडचिरोली जिले में प्रति डिपो 10 बसे इस तरह जिले में करीब 20 से 25 बसों का संचालन प्रारंभ हुआ। अब अनलाक के बाद गडचिरोली जिले में लगभग 150 बसे यात्री परिवहन कर रही है।