आज सुबह 8 बजे से भूख हड़ताल पर किसान नेता

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नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Bill) को लेकर किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) चरम पर पहुंच गया है। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए अब भूख हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। रविवार को सिघु बॉर्डर (Singhu Border) पर आयोजित प्रेस वार्ता में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chadhuni) ने कहा, “कल सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे।

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, “हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग लेने वाले सभी किसान यूनियन एक साथ हैं।”

बात करने के लिए समिति गठित करेंगे

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “हमें नजर रखने की जरूरत है ताकि कोई गलत तत्व हमारे बीच न हों। हमारे सभी युवाओं को सतर्क रहने की जरूरत है। अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम एक समिति गठित करेंगे और आगे का निर्णय लेंगे।”

AIKSCC ने वीएम सिंह से खुद को किया अलग 

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का राष्ट्रीय कार्य समूह वीएम सिंह द्वारा मीडिया को दिए गए एक बयान से खुद को अलग करता है। समिति ने कहा, “बयान न तो एआईकेएससीसी द्वारा अधिकृत था और न ही इसने कार्य समूह द्वारा निर्णय लेने के प्रोटोकॉल का पालन किया था।”

AIKSCC का कार्यकारी समूह यह दोहराता है कि यह 3 किसान विरोधी कृत्यों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए एकजुट होकर आंदोलन करने वाले किसान संगठनों की मांगों के साथ है।

किसान आंदोलन का 18वा दिन

कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन आज 18वा दिन है. किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हुए हैं इसी के साथ मांग नहीं मनाने पर आंदोलन को और तीव्र करने की घोषणा कर चुके हैं वहीं दूसरी ओर दिल्ली जयपुर-हाईवे को अवरुद्ध करने के लिए बड़ी संख्या में किसान राजस्थान बॉर्डर पर पहुंचें हैं

उत्तराखंड के किसान नेताओं ने की कृषि मंत्री से मुलाकात 

एक ओर किसान कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कई किसान संगठन कानून के समर्थन में कृषि मंत्री तोमर से मिले हैं किसानों से मिलने के बाद कृषि मंत्री ने कहा, “आज उत्तराखंड के किसानों ने मुझसे #FarmLaws के समर्थन में मुलाकात की। मैं उन किसानों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने कानूनों को समझा, अपने विचार व्यक्त किए और इसका समर्थन किया।”