आज है ‘विनायक चतुर्थी’,  जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महिमा

    Loading

    – सीमा कुमारी

    सनातन हिंदू धर्म में ‘विनायक चतुर्थी’ का विशेष महत्व होता है। हर महीने दो चतुर्थी आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस महीने वैशाख कृष्ण पक्ष की ‘विनायक चतुर्थी’ 15 मई को है।

    मान्यताएं हैं कि, इस दिन लोग बुद्धि और शुभता के देव भगवान श्रीगणेश का व्रत और  पूजन करते हैं।‌ कहा जाता है कि, इस विशेष दिन नियम और निष्ठा के साथ भगवान गणराया की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के कार्यों में आने वाले विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं।

    जो श्रद्धालु ‘विनायक चतुर्थी’ का उपवास करते हैं, भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीष देते हैं।‌ आइए जानें ‘विनायक चतुर्थी’ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-

    शुभ मुहूर्त:

    वैशाख, शुक्ल चतुर्थी

    पूजन विधि:

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराएं और उन्हें भी साफ लाल या पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा को इस तरह से स्थापित करें कि पूजा करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रहे। अब भगवान गणेश के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें और सिंदूर, अक्षत, दूर्वा एवं पुष्प से पूजा-अर्चना करें। पूजा के दौरान ‘ॐ गणेशाय नमः’ या ‘ॐ गं गणपतये नमः’, मंत्रों का उच्चारण करें।

    भगवान गणेश की आरती करें और उन्हें मोदक, लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग चढ़ाएं। शाम को व्रत की कथा करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ें।

    ‘विनायक चतुर्थी’ का महत्व:

    मान्यताओं के अनुसार, जो मनुष्य पूरी श्रद्धा और नियम के साथ ‘विनायक चतुर्थी’ का व्रत और पूजन करता है, भगवान गणेश उसकी हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इस दिन व्रत और पूजन करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। गणेश जी अपने भक्तों के सारे विघ्नों को हर लेते हैं। आपके जीवन में सुख और शांति का वास होता है।