नागपुर: हम सभी – आम जनता, सरकार और प्रशासन पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए। डॉक्टर इशारा कर रहे थे लेकिन हमने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और लापरवाही दिखते रहे। इसलिए हम इस समस्या का सामना कर रहे हैं। शनिवार को ‘‘पोजिटिविटी अनलिमिटेड” व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भाववत ने यह बात कही।
भारत को कायम करनी है एक मिसाल
भागवत ने कहा, ‘‘यह महामारी मानवता के सामने एक चुनौती है और भारत को एक मिसाल कायम करनी है। हमें गुण-दोष की चर्चा किए बिना एक टीम के रूप में काम करना है। हम इसे बाद में कर सकते हैं। हम एक टीम के रूप में काम करके और अपने काम में तेजी लाकर इस चुनौती से पार पा सकते हैं।”
All of us – general public, Govt & admin – became complacent after the first wave. Doctors were indicating but we became complacent. That’s why we’re facing this problem. Now there are talks of the third wave but we don’t have to fear but prepare ourselves:RSS Chief Mohan Bhagwat pic.twitter.com/FwDQZLIAmi
— ANI (@ANI) May 15, 2021
सरसंघचालक ने कहा कि अब तीसरी लहर की बात हो रही है । ‘‘लेकिन हमें डरना नहीं है । हम चट्टान की तरह एकजुट रहेंगे ।” भागवत ने कहा कि सभी को सकारात्मक रहना होगा और मौजूदा परिस्थिति में स्वयं को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने (नेगेटिव) के लिए सावधानियां बरतनी होंगी । उन्होंने कहा कि यह एक दूसरे पर अंगुली उठाने का उपयुक्त समय नहीं है और वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचना चाहिए ।
भागवत ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदर्भ में कहा, ‘‘जब विपत्ति आती है तो भारत के लोग जानते हैं कि सामने जो संकट है, उसे चुनौती मानकर संकल्प के साथ लड़ना है।” उन्होंने कहा, ‘‘लोग जानते हैं कि यह हमें डरा नहीं सकती। हमें जीतना है। जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है।” उन्होंने कहा, ‘‘थोड़ा सी गफलत हुई। शासन-प्रशासन और लोग..सभी गफलत में आ गए, इसलिए यह आया।”
मोहन भागवत ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड की स्थिति का जिक्र किया, जब ऐस लग रहा था कि सब कुछ उसके वितरीत जा रहा हो । भागवत ने तब के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को उद्धृत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘इस कार्यालय में कोई निराशावादी नहीं है, हमें हार की संभावना में कोई रूचि नहीं है, इसका कोई अस्तित्व नहीं है । ” उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे ही इस परिस्थिति में हमें साहस नहीं छोड़ना है । हमें संकल्पबद्ध रहना है।”