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  • ECLGS लोन पैकेज : 9 करोड़ MSME और छोटे कारोबारी, लाभ सिर्फ 1 करोड़ को!

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मुंबई. चाइनीज वायरस कोविड की महामारी से त्रस्त देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) को वित्त सहयोग प्रदान करने मोदी सरकार ने रविवार को अपनी इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) का हेल्थकेयर सेक्टर (Healthcare Sector) के लिए विस्तार करने के साथ इसकी वैद्यता बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 तक कर दी। 3 लाख करोड़ रुपए के इस लोन पैकेज के तहत अब बैंक 31 दिसंबर, 2021 तक ऋणों का वितरण कर सकेंगे। जिसमें से 2.54 लाख करोड़ रुपए के लोन बांटे जा चुके हैं। 

उद्योग संगठनों ने सरकार की घोषणा का स्वागत तो किया है, परंतु इसे नाकाफी बताते हुए कहा है कि देश के 6.5 करोड़ MSME और 2.5 करोड़ स्वरोजगार में लगे छोटे कारोबारियों में से इसका लाभ अभी तक एक करोड़ को भी नहीं मिल पाया है। पैकेज के तहत केवल 45,000 करोड़ रुपए ही शेष बचे हैं। इसलिए पैकेज को बढ़ाकर 6 लाख करोड़ रुपए करने के साथ सभी संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए।  

2.54 लाख करोड़ के कुल लोन वितरित : IBA

इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के सीईओ सुनील मेहता ने बताया कि मई 2020 में घोषणा के बाद ECLGS के अंतर्गत अब तक एमएसएमई और अन्य कारोबारियों को कुल 2.54 लाख करोड़ रुपए के लोन बांटे गए हैं। जिसमें से 12 सरकारी बैंकों, 23 निजी बैंकों और 31 वित्तीय कंपनियों ने 90.57 लाख से अधिक ऋणधारकों को 2.14 लाख करोड़ रुपए के नए ऋण वितरित किए हैं। इसमें भी 1.66 लाख करोड़ रुपए के लोन 8 जनवरी 2021 तक वितरित किए जा चुके थे। उसके बाद लोन वितरण में 53% की वृद्धि हुई है। अब इस पैकेज के अंतर्गत 45,000 करोड़ रुपए शेष हैं।

 सभी MSME, छोटे कारोबारियों को मिले प्राथमिकता : SME चैम्बर

एमएसएमई सेक्टर की शीर्ष संस्था एसएमई चैम्बर ऑफ इंडिया (SME Chamber of India) के अध्यक्ष चंद्रकांत सालुंखे ने कहा कि हम वित्त मंत्रालय और आईबीए के कदमों का स्वागत करते हैं, किंतु देश के कुल 9 करोड़ एमएसएमई और स्वरोजगार में लगे छोटे कारोबारियों में बहुत कम को ही सरकार की आपात क्रेडिट स्कीम का लाभ मिल पाया है। जबकि अनेक क्षेत्रों के छोटे उद्यमियों और कारोबारियों का लॉकडाउन-2 से वित्तीय संकट और गहरा हो गया है। और नीति आयोग ने तीसरी लहर आने की चेतावनी दी है। इसलिए हमारा प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री से आग्रह है कि लोन पैकेज को दोगुना कर 6 लाख करोड़ रुपए किया जाए। हेल्थकेयर सेक्टर के साथ संकट में फंसे सभी क्षेत्रों के एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को लोन देने में प्राथमिकता दी जाए। साथ ही 31 दिसंबर 2021 तक बकाया लोन की वसूली के लिए सख्ती नहीं की जाए।   

6 लाख करोड़ किया जाए लोन पैकेज : FICCI

शीर्ष उद्योग संगठन ‘फिक्की’ (FICCI) के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा कि सरकार और आईबीए के नए कदमों से कोरोना महामारी की दूसरी लहर की मार झेल रहे उद्योग क्षेत्रों खासकर एमएसएमई सेक्टर को इस घोर संकट का सामना करने में मदद मिलेगी। ECLGS के तहत एमएसएमई को रिपेमेंट अवधि में छूट, 500 करोड़ रुपए की सीमा हटाने और एविएशन सेक्टर को शामिल करना सराहनीय कदम है। लेकिन अब इस स्कीम के तहत केवल 45,000 करोड़ रुपए के ही लोन और बांटने शेष है। इसलिए हमारा सरकार से आग्रह है कि मौजूदा गंभीर हालात को देखते हुए ECLGS में 3 लाख करोड़ रुपए और आवंटित किए जाए, ताकि संकट में फंसे एमएसएमई को मजबूती प्रदान की जा सके।

छोटे और मझोले कारोबारियों को नहीं मिला फायदा : CAIT

व्यापार महासंघ ‘कैट’ (CAIT) के मुंबई महानगर अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि ECLGS यानी मोदी सरकार के लोन पैकेज के अंतर्गत चाइनीस वायरस कोरोना से उत्पन्न संकट में कर्जदारों को वित्तीय सहायता देने हेतु कुछ छूट दी गई है, लेकिन इसका कोई भी फायदा सबसे परेशान छोटे और मझोले कारोबारियों को होता हुआ नहीं दिख रहा है। गत वर्ष और इस वर्ष के लॉकडाउन के कारण छोटे-मझोले व्यापारियों की पूंजी खत्म हो गई है। लगातार लॉकडाउन से कपड़े एवं अन्य वस्तुओं के व्यापार करने कारोबारियों का माल दुकानों एवं गोदामों में बिना बिके रह गया है। कुछ सामान फैशन के मुताबिक मार्केट में नए आ जाएंगे और पुराना स्टॉक डेड होने की आशंका है। ऐसे में सरकार और बैंकों द्वारा कारोबारियों को वापस अपने पैरों पर खड़े हो सके, इस तरीके की स्कीम लानी चाहिए।

क्या है ECLGS?

ECLGS की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण कारोबारों पर पैदा हुए संकट को कम करने के लिये मई 2020 में की थी। इस योजना का उद्देश्य एमएसएमई तथा मुद्रा योजना के छोटे उधारकर्त्ताओं को पूरी तरह से गारंटी और गारंटी फ्री लोन प्रदान करना है। बाद में इसे 20 लाख करोड़ रुपए के ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ में शामिल कर लिया गया।