बेंगलुरु. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री (Karnataka Chief Minister) के तौर पर बसवराज एस. बोम्मई (Basavaraj S. Bommai) के नाम का ऐलान कर दिया है। मंगलवार को विधायक दल की बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। जिसकी घोषणा राज्य के लिए भाजपा पर्यवेक्षक और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Union Minister Dharmendra Pradhan) ने की। बोम्मई वर्तमान में राज्य के गृहमंत्री हैं। इसी के साथ उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (Former Chief Minister B. S. Yediyurappa) का बेहद खास माना जाता है।
राज्यपाल से मिलने पहुंचे बोम्मई, किया सरकार बनाने का दावा पेश
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के लिए बसवराज बोम्मई के नाम की घोषणा के बाद वह राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलने राजभवन पहुंचे है। जहां उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। मिली जानकारी के अनुसार बोम्मई कल मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
Basavaraj S Bommai to be the next CM of Karnataka announces BJP observer for the state and Union Minister Dharmendra Pradhan pic.twitter.com/poNFhORUHq
— ANI (@ANI) July 27, 2021
Karnataka BJP Legislative Party elected Basavaraj S Bommai as Chief Minister of the State pic.twitter.com/Arrm4PiHTs
— ANI (@ANI) July 27, 2021
बीएस येदियुरप्पा ने रखा बोम्मई के नाम का प्रस्ताव
बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने नए मुख्यमंत्री के लिए बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसे सभी विधायकों ने अपनी सहमति दी। जिसके बाद बैठक में शामिल धर्मेंद्र प्रधान ने बोम्मई के नाम की घोषणा कर दी। साथ ही उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया।
बोम्मई को सर्वसम्मति से चुना गया विधायक दल का नेता
बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि, “हमने सर्वसम्मति से बसवराज एस बोम्मई को भाजपा विधायक दल का नेता चुना है। मैं पीएम मोदी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। पीएम के नेतृत्व में, वह (बोम्मई) कड़ी मेहनत करेंगे।”
येदियुरप्पा ने सोमवार को दिया था इस्तीफा
ज्ञात हो सोमवार को अपनी सरकार के दो साल पुरे होने के आयोजित कार्यक्रम में येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, “मुझे हमेशा अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा है।” इस दौरान उन्होंने अपने सरकार की दो साल में हुए काम का रिपोर्ट कार्ड भी रखा। इसी के साथ उन्होंने राज्य की जनता और पार्टी के नेताओं का ध्यन्यवाद दिया। इसके बाद उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Thavarchand Gahlot) को अपना इस्तीफा सौंप दिया।