नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) में छठ पूजा (Chhat Pooja) को लेकर केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि, दिल्ली में छठ पूजा को लेकर आयोजन को मंजूरी देने का फैसला किया है। इसके अलावा दिल्ली सरकार के एक और बड़े फैसले की घोषणा की है। उन्होंने कहा, 1 नवंबर से दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूल सभी कक्षाओं के लिए कुछ शर्तों के साथ खोलने का निर्णय लिया गया है।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बताया कि, डीडीएमए (DDMA) की आज की बैठक में फैसला किया गया कि, दिल्ली में छठ पूजा की इजाजत दी जाएगी। यह सरकार द्वारा पहले से तय किए गए स्थानों पर बहुत सख्त प्रोटोकॉल के साथ किया जाएगा। कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ सीमित संख्या में लोगों को अनुमति दी जाएगी।
In today’s DDMA meeting it was decided that chhath puja will be permitted in Delhi. This will be done with very strict protocols at the spots decided by the govt beforehand. Limited number of people will be allowed, with adherence to COVID protocols: Delhi Dy CM Manish Sisodia pic.twitter.com/edXV484Pa9
— ANI (@ANI) October 27, 2021
बता दें कि, इससे पहले सितंबर में गाइडलाइंस (Guidelines) जारी की थी। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) (DDMA) ने कोरोना (Coronavirus) संबंधी नए दिशा निर्देशों में जारी किये थे जिसमें कहा गया था कि, इस साल सार्वजनिक स्थानों, नदी के तटों पर छठ समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि सिसोदिया ने डीडीएमए के साथ हुई बैठक के बाद गाइडलाइंस में तबदीली की ओर इशारा किया है। दिल्ली में कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए निर्धारित स्थानों पर छठ पूजा की अनुमति होगी।
All schools in Delhi will be permitted to open from 1st Nov. Experts suggested that no parent will be forced to send their children to school. All schools will have to ensure that classes take place in hybrid mode with max of 50% strength in classrooms: Delhi Dy CM Manish Sisodia pic.twitter.com/dawMHdgQrD
— ANI (@ANI) October 27, 2021
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इसके अलावा दिल्ली सरकार के एक और बड़े फैसले की घोषणा की है। उन्होंने कहा, 1 नवंबर से दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूल सभी कक्षाओं के लिए कुछ शर्तों के साथ खोलने का निर्णय लिया गया है। कोई भी स्कूल बच्चों को आने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। स्कूल सुनिश्चित करेंगे कि पढ़ाई ऑफलाइन और ऑनलाइन चले। स्कूलों को सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्यक्ष कक्षाओं के दौरान एक बार में 50 प्रतिशत से अधिक छात्रों की उपस्थिति ना हो, किसी भी छात्र को प्रत्यक्ष कक्षाओं में हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।