File Photo
File Photo

    Loading

    नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगे (Delhi Riots) के सिलसिले में दर्ज आपराधिक मामलों की स्थिति रिपोर्ट हलफनामे के साथ जमा करे। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ को पुलिस ने जानकारी दी कि दिल्ली दंगों के सिलसिले में 758 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से 361 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है और 67 मामलों में आरोप तय किए गए हैं। इसके बाद अदालत ने निचली अदालतों में लंबित मामलों की स्थिति की जानकारी तलब की।

    इस पीठ में न्यायमूर्ति ज्योति सिंह भी शामिल है जो पिछले साल संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में हिंसा और नफरत फैलाने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

    अदालत ने कहा, ‘‘हम प्रतिवादी (दिल्ली पुलिस) को और विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं जिसमें निचली अदालतों के समक्ष लंबित मामलों की विस्तृत जानकारी हो।”अदालत ने इसी के साथ ही रेखांकित किया कि मौजूदा हलफनामा रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं है। उच्च न्यायालय अब इस मामले पर 28 जनवरी को सुनवाई करेगा।

    गौरतलब है कि अक्टूबर में दाखिल हलफनामे में बताया गया था कि 287 मामलों में अब भी आरोप पत्र दाखिल किया जाना है और चार प्राथमिकी को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि संभी लंबित मामलों में कानूनी प्रक्रिया अंतिम चरण में है जबकि दो मामलों में फैसला आ चुका है और आरोपियों को बरी किया गया है।

    हलफनामा में बताया गया, ‘‘कुल दर्ज 758 प्राथमिकी में से 695 मामलों की जांच उत्तर पूर्व दिल्ली पुलिस कर रही है। 62 मामले हत्या जैसे गंभीर अपराध के है जिन्हें अपराध शाखा को स्थानांतरित किया गया है और वह तीन विशेष जांच दलों (एसआईटी) का गठन कर इनकी जांच की जा रही है और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इनकी निगरानी की जा रही है। एक मामला जो दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे की साजिश रचने से जुड़ा है उसकी जांच विशेष प्रकोष्ठ कर रहा है।” (एजेंसी)