Farmers
प्रतीकात्मक तस्वीर

    Loading

    झरी जामणी. इन दिनों झरी जामणी तहसील के अनेक गांवों में खुलेआम और जोरशोर से कपास की खेडा खरीदी शुरु है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर सरकार का सेस डुबने के बावजुद कारवाई नही की जा रही है.

    प्राप्त जानकारी के मुताबिक इन दिनों तहसील के मार्थाजून , शिबला , मांगुर्ला , बाबापूर , मार्की दाभाडी ईलाके में किसानों के घर पहूंचकर बडे पैमाने पर कपास की खेडा खरीदी शुरु है,लेकिन आज तक किसी भी खरीददार के खिलाफ कारवाई नही की गयी है, जिससे इन खेडा खरीदी व्यापारीयों पर किसी का वरदहस्त होने की चर्चा ईलाके में जारी है. इस वर्ष कपास को अच्छे दाम मिल रहे हे, लेकिन कपास का उत्पादन काफी कम हुआ है, खेतों में एक बार की बिनाई में कपास की उलंगवाडी हो चुकी है.

    कुछ पैमाने पर निकला कपास खरीददार व्यापारी वजनकांटे में घपलेबाजी कर कम दामों में इसे खरीद रहे है. कोलाम, आदिवासी पोड पर किसान अशिक्षीत होने से उनकी कपास खरीदी के दौरान धडल्ले से ठगी की जा रही है.तो दुसरी ओर खेती साहित्य और खेती उपज की चोरीयों की घटनाएं भी बढी है, लेकिन एैसे चोरों को पकडने में पुलिस को सफलता नही मिल पायी है.

    बताया जाता है की खेडा खरीदी के दौरान खेतों से चुराकर लायी गयी कपास की भी बिक्री हो रही है, जिससे खेडा खरीदी के दौरान चोरों को भी आश्रय मिल रहा है, एैसी चर्चा आम नागरिकों और किसानों में है.खेत में चोरीयों की छोटी बडी घटनाएं होने के बावजुद पुलिस और प्रशासन से न्याय न मिलता देख किसानों ने अब शिकायतें करना भी छोड दिया है.