ST Strike
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    मुंबई:  विलीनीकरण की मांग को लेकर एसटी कर्मचारी (ST Employees) पिछले 48  दिनों से हड़ताल (Strike) पर अड़े हुए हैं। राज्य सरकार के तमाम प्रयास और अंतिम अल्टीमेटम देने के बावजूद एसटी कर्मचारी अपना आंदोलन पीछे लेने को तैयार नहीं हैं। परिवहन मंत्री अनिल परब (Transport Minister Anil Parab) ने हड़ताली कर्मचारियों सोमवार तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन उसका कोई असर कर्मचारियों पर नहीं हुआ। अब चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर यह हड़ताल कब तक चलेगी। 

    उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग 2 वर्ष से कोरोना (Corona)और लॉकडाउन (Lockdown) के चलते एसटी पहले से ही भारी आर्थिक संकट में है। लॉकडाउन के पहले एसटी की दैनिक आय 20 से 22 करोड़ थी। हड़ताल से अब तक एसटी को 550 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।

     ग्रामीण अर्थव्यवस्था  पर गहरा असर 

    महाराष्ट्र की लालपरी कही जाने वाली एसटी पर राज्य के ग्रामीण भागों के यातायात की बड़ी जिम्मेदारी है। कोरोनाकाल के पहले एसटी से राज्य भर में रोजाना 68  से 70 लाख लोग यात्रा करते थे। इनमें ज्यादातर आम किसान, विद्यार्थियों, महिलाओं,बुजुर्गों लोग शामिल हैं। कोरोना के बाद  पिछले लगभग 50 दिनों से एसटी बंद होने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं आवागमन पर गहरा असर पड़ा है। एसटी की लगभग 18 हजार बसें खड़ी हैं। ज्यादातर शैक्षणिक संस्थान खुल गए हैं। इसकी वजह से विद्यार्थी स्कुल कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं। 

    अब बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू 

    उधर, आम यात्रियों के सब्र का बांध टूट रहा है। हैरानी इस बात की है कि 50 दिन होने को आए, लेकिन सत्ताधारी और हड़ताली कर्मचारियों के बीच समन्वय से एसटी के चलने के लिए कोई मार्ग नहीं निकल पाया। एक तरफ लगातार घाटा बढ़ रहा है, दूसरी तरफ आम जनता की परेशानी बढ़ रही है। जब एसटी चलेगी ही नहीं तो कर्मचारियों को वेतन कहां से मिलेगा। निगम ने 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। अब बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

    विलय का मुद्दा समिति के पास

    इस बीच, परिवहन मंत्री का कहना है कि  विलय का मुद्दा समिति के समक्ष है। 12 सप्ताह में रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय होगा। तो क्या तब तक हड़ताल खिंचेगी। शुरू में हड़ताली कर्मियों के साथ आने वाले सदाभाऊ खोत और पडलकर ने भी किनारा कर लिया है। ज्यादातर कामगार अभी भी विलीनीकरण पर अडिग हैं। एसटी के 93 हजार कर्मचारी हैं, ज्यादातर कर्मचारियों को लगभग 2 माह से वेतन नहीं मिला है। इस मामले में सत्ता और कर्मचारी दोनों को समझदारी दिखानी होगी।