अकोला. जिले में इस वर्ष खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी जिलाधिकारी नीमा अरोरा ने 31 दिसंबर को घोषित की है. उसके अनुसार जिले की खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी औसतन 47 पैसे है. जिससे पैसेवारी 50 पैसों से कम है. इस कारण जिले में अकाल की स्थिति की छाया होने का वास्तव स्थिति है.
इस वर्ष बरसात में भारी बारिश व बाढ़ से जिले की खरीफ फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हो गया था. जिससे खरीफ फसलों के उत्पादन में भी बड़ी कमी आई थी. इस कारण फसलों की आय में भी कमी आई है. इस तर्ज पर जिले की सातों तहसीलदारों की ओर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 इस वर्ष में जिले की खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी जिलाधिकारी नीमा अरोरा ने घोषित की है.
उसके अनुसार जिले के कुल 1,012 गांवों में से बुआई योग्य 990 गांवों में खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी औसतन 47 पैसे यानी 50 पैसों से कम आई है. जिले की खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी 50 पैसों से कम आने से जिले में अकाल की स्थिति की छाया फैलने का चित्र है. 2021 यह साल ही किसानों के लिए वेदनादायी गया है.
शुरुआत में बारिश नहीं, जिससे फसल बढ़ी नहीं. कर्ज निकालकर दुबारा बुआई करने के बाद वापसी की बारिश ने खेती का काफी नुकसान हो गया. जनप्रतिनिधियों की ओर से आवाज उठाने के आद किसानों को नुकसान भरपाई मिल सकी है. जिससे किसानों ने रबी मौसम पर जोर दिया. गेहूं, चना, प्याज की फसलों का डेढ़ लाख से अधिक हेक्टेयर पर बुआई हो गई है.
लेकिन ऐनवक्त पर मुंह तक आया निवाला प्रकृति ने छीना, जिससे किसान फिर से चिंताग्रस्त हो गया है. लड़की व लड़कों का विवाह, शिक्षा का खर्च, बीमारी पर खर्च कैसा करना यह प्रश्न किसानों को पड़ा है. जिले की सभी परिस्थिति का जायजा लेकर अकोला जिले में अकाल घोषित करने की मांग किसानों की ओर से की जा रही है.
अंतिम पैसेवारी
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तहसील -गांव -पैसेवारी
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अकोला -181 -47
अकोट -185 -48
तेल्हारा -106 -47
बालापुर -103 -47
पातुर -94 -48
मूर्तिजापुर -164 -48
बार्शीटाकली -167 -47
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खरीफ फसलों की अंतिम पैसेवारी घोषित हो गई है. तो भी जिले में अकाल घोषित होने के लिए अन्य मापदंड लागू होते है. जिससे अन्य बातों का भी विचार किया जाता है. उसके बाद ही इस बात पर निर्णय होने की संभावना है. – प्रा. संजय खडसे, निवासी उप जिलाधिकारी, अकोला.
खरीफ मौसम में किसानों का बड़ा नुकसान हो गया है. उसकी नुकसान भरपाई अनेक किसानों को अभी तक नहीं मिल सकी है. किसानों को रबी फसल से आशा थी. लेकिन दो दिनों पूर्व हुए बेमौसम बारिश से किसानों का सपना चूर हुआ है. – मनोज तायडे, संयोजक, शेतकरी अकोला जागर मंच.