- निजी कंपनी का हस्तक्षेप बढ़ने से घटी उपयोगिता
- जिन्होंने परिवार की बात मानी, वे बचा गए नौकरी
नागपुर. एसटी महामंडल और कर्मचारियों के बीच चल रहे शीतयुद्ध के गंभीर परिणाम अब दिखने लगे हैं. बीते साल 21 दिसंबर 2021 से शुरू हुई बर्खास्तगी की इस कार्रवाई ने आज 21 जनवरी 2022 आते-आते 289 कर्मचारियों के पेट पर लात मार दी है. इसके बाद भी सिलसिला अभी थमा नहीं है. कर्मचारी संघ भले हड़ताल पर डटे रहकर शासन में विलय के कितने भी रंगीन सपने दिखाए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है.
सूत्रों की मानें तो नौकरी खाने से कई कर्मचारी अंदर ही अंदर टूट गए हैं. कई पर बेरोजगारी का संकट पैदा हो गया है. पहले वे उत्साह के साथ हड़ताल डटे थे, अब मजबूरी में उन्हें बैठना पड़ रहा है. नौकरी जाने के साथ ही इन कर्मचारियों के परिवार का भविष्य भी सवालों के घेरे में आ गया है. नौकरी पर लौटे कुछ कर्मचारियों के अनुसार उन्होंने इस मामले में परिवार की बात सुनी. और नौकरी बचा गए. कर्मचारी नेताओं ने उन्हें नौकरी पर न लौटकर हड़ताल पर डटे रहने के लिए काफी प्रेरित किया, लेकिन उन्होंने यहां दिमाग से काम लिया. कुछ कर्मचारी निर्णय लेने में देरी कर गए, जिसका खामियाजा उन्हें बर्खास्तगी के रूप में उठाना पड़ रहा है. फिलहाल इस युद्ध में एसटी महामंडल भारी पड़ता दिख रहा है.
तीन डिपो के कर्मी शामिल
शुक्रवार को हुई एसटी मंडल की कार्रवाई में तीन डिपो के कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई. इन डिपो में सावनेर,उमरेड और रामटेक शामिल हैं. यहां 15 चालक,21 वाहक, 1 यांत्रिक, 2 प्रशासकीय कुल मिलाकर 39 कर्मचारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई अमल में लाई गई है. बीते 32 दिनों में महामंडल ने अपने इरादों को साफ कर दिया है कि वो परिवहन व्यवस्था बनाए रखने के लिए ठोस निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे. ये संकेत उसने साल की शुरुआत में ही दिए थे. साथ ही कर्मचारियों को नौकरी पर वापस लौटने की अपील भी की, लेकिन उसकी यह अपील ज्यादा काम नहीं आई.
बर्खास्त कर्मीयों की स्थिति
चालक 133
वाहक 121
चालक तथा वाहक 5
यांत्रिक 26
प्रशासकीय 4
इतने लौटे काम पर
ड्रायवर 40
वाहक 49
चालक कम वाहक 08
यांत्रिक 18
क्लर्क 05
कंट्रोलर 04
सीनियर क्लर्क 01
क्लीनर 02
चपरासी 01