Bore Well

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  • जिले के किसानों को बोअर को अधिक पसंती 

गड़चिरोली. राज्य के अंतिम छोर पर बसा गड़चिरोली जिला यह नक्स्ल प्रभावित, अतिदुर्गम, संवेदनशिल है. यहां बारमासी नदीयां होने के बावजूद सिंचाई विरहित जिले के रूप में पहचाना जाता है. यहां की खेती बारिश के पानी पर निर्भर है. ऐसे में कुछ किसान खेत में कुएं के माध्यम से सिंचाई की क्षमता बढाने का प्रयास कर रहे है. किंतू दिन ब दिन जलस्तर घटने से किसान भी त्रस्त हुआ है. इसपर उचित विकल्प के तौर पर खेत में बोअर  पद्धति उचित साबित हो सकती है. किसान भी अनुदानित कुएं के बजाएं खेत में बोअर मारना पसंद कर रहे है. सरकार कुएं के लिए अनुदान देने के बजाएं बोअर मारकर दे, ऐसी मांग किसान कर रहे है. 

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश से सरकार द्वारा प्रतिवर्ष शतप्रतिशत अनुदान में, रोजगार गांटी योजना अंतर्गत, बिरसा मुंडा योजना, डा. बाबासाहेब आंबेडकर योजना अंतर्गत सातबारा की आराजी देखकर किसानों को सिंचाई कुआं येाजना का लाभ दिया जाता है. किंतु इन दिनों खेत में 35 से 40 फिट कुए का खुदाईकार्य करेन के बावजूद कुएं को आवश्यक मात्रा में पानी नहीं लगता है. इसका प्रमुख कारण दिन ब दिल घटता जलस्तर है.

जिससे खेतों केा आवश्यक पानी नहीं होने से उत्पादन में वृद्धि करना किसानों के लिए असंभव होता है. जिससे किसानां की वित्तीय स्थिती दिन ब दिन गिरती जा रही है. किसानों को सिंचाई कुओ का पानी उपयोगी साबित नहीं होने से उक्त योजना बदलकर कुएं के बजाएं प्रत्यक्ष खेत में बोअर का निर्माण करने की मांग किसान कर रहे है. किसनों का पानी के अभाव में होनेवाला नुकसान टालने के लिए सरकार किसानां को डेढ एकड से अधिक की आरजी देखकर कोरडवाहू खेत में शतप्रतिशत अनुदान पर कुआं निर्माण हेतु अनुदान मंजूर करती है.

किंतु अल्प अनुदान के कारण किसान 30 से 35 फिट कुएं का खुदाईकार्य करता है. उक्त कुएं पर इंजिन, इलेक्ट्रिक पंप लागकर शुरू करने पर वह 38 मिनट भी नहीं चलाता है. पानी का प्रमाण कम होने से खेत का उत्पन्न निकालने के लिए पानी अल्प होता है. जिससे सरकार की यह योजना उपयोगहिन साबित हो रही है. जिससे किसान निराश हुआ है. सरकार भूजलस्तर का घटना प्रमाण ध्यान में लेकर किसानों के खेत में उतने ही अनुदान पर बोअर निर्माण कर उसपर डेढ़ से 2 इंच का पंप लगाकर देने पर किसान विभिन्न पद्धति से फसलों का उत्पादन ले सकता है. इससे पानी की किल्लत निर्माण नहीं होगी, वहीं किसानों का उत्पादन बढकर उनकी वित्तीय स्थिती में सुधार होगा. 

मार्च महिने में नदी, नाले होते है निर्जल

गड़चिरोली जिले में सिंचाई की सुविधआों का अभाव होने से यहां की खेती बारिश पर निर्भर है. जिले में मुसलाधार बारिश होती है. किंतु पानी रोकने के लिए उपाययेाजना नहीं किए जानेसे धूपकाले के कालावधि में सैंकडों गांवों में जलसंकट की समस्या निर्माण होती है. ऐसे में अनेक नागरिकों ने निजि 100 से 150 फिट तो खेत में 200 से 300 फिट गहरा बोअर मारने से जमीन का जलस्तर निरंतर घट रहा है. वहीं निरंतर पेडों की कटाई पर्यावरण का संतुलन बिघाड रही है. जिससे जिले के अनेक जगह के तालाब, नदी, नालों का जलस्तर माच महिने तक सुख जाता है. जिससे मवेशियों को भी पिने के लिए पानी नहीं मिलता है. ऐसे में सिंचाई के लिए पानी कहां से लाऐंगे. 

बोअर पर सरकार का खर्च भी बचेगा 

खेत में कुए का निर्माण करने के लिए सिमेंट, गिट्टी, लोहा का उपयोग किया जाता है. किंतु कुएं के बजाएं खेत में बोर मारने पर होनेवाले खर्च की तुलना में काफी खर्च बच सकता है. सरकार कुओं के लिए ढाई से तीन लाख रूपये का अनुदान देते है. इसके बजाएं प्रत्यक्ष बोअर का निर्माझा करने पर सरकार तथा किसानों के हित में हो सकता है. जिससे सरकार इसका विचार कर खेतों में कुओं के लिए निधि मंजूर करने के बजाएं प्रत्यक्ष बोअर निर्माण करने की मांग किसानों द्वारा हो रही है.