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नई दिल्ली/सांगली: सांगली (Sangli) लोकसभा सीट महाराष्ट्र (Maharashtra) की महत्त्वपूर्ण सीटों में से एक है। देखा जाए तो इस संसदीय सीट पर कांग्रेस का एक छत्र राज रहा है। यहां लगातार 52 साल तक कांग्रेस ने अपनी जीत बरकरार रखी है। वहीं कांग्रेस के प्रकाशबापू पाटिल सबसे ज्यादा 5 बार सांसद पद के लिए चुने गए। लेकिन इस बार समीकरण बदले जब कांग्रेस नेता विशाल प्रकाशबापू पाटील ने सांगली लोकसभा सीट के लिए एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

अब यहां पाटील का मुकाबला ‘INDIA’ ब्लॉक के आधिकारिक उम्मीदवार शिवसेना (UBT) के चंद्रहार पाटील से भी होगा। वहीं सांगली में हैट्रिक की कोशिश में BJP की तरफ से मौजूदा दो बार के सांसद संजयकाका पाटील को एक बार फिर मैदान में उतारा गया है। हालाँकि साल 1962 में कांग्रेस पार्टी ने जीत का ऐसा झंडा फहराया जो 52 साल तक लहराता रहा।

फिर साल 1962 में कांग्रेस के विजयसिंहराव डफले, 1967 में एसडी पाटिल, 1971 और 1977 में गणपति टी गोटखिंडे, 1980 में वसंतदादा पाटिल, 1983 के उपचुनाव में शालिनी पाटिल, 1984, 1989 और 1991 में प्रकाशबापू पाटिल, 1996 और 1998 में मदन पाटिल, 1999 और 2004 में प्रकाशबापू पाटिल, 2006 के उपचुनाव और 2009 में प्रतीक पाटिल कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे हैं। लेकिन अब यहां स्तिथि थोड़ी भिन्न है।

भौगोलिक रूप से देखें तो कृष्णा नदी के किनारे बसा सांगली हल्दी उत्पादन के लिए जाना जाता है। वहीं इस शहर में कई उद्योगों के बड़े कारखाने मौजूद हैं। इनमें सूती वस्त्र, तेल मिलें, पीतल और तांबे के निर्माण से जुड़े कारखाने भी शामिल हैं। वहीं सांगली जिले में गन्ना भी बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। इसके साथ ही यहां अंगूर की प्रचुर खेती होती है।

यह भी बता दें कि, सांगली का प्राचीन गणपति मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण 1843 में हुआ था। सांगली जिले की स्थापना साल 1949 में हुई थी। हालांकि इससे पहले इसे दक्षिण सतारा के नाम से जाना जाता था। फिर बीते 1 मई 1960 में इसका नाम बदलकर सांगली कर दिया गया। सांगली में सागरेश्वर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी मौजूद है जिसे वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।