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    नयी दिल्ली. वैसे तो अगर आप गाड़ी चलाते हैं तो ये भी आप जानते ही होंगे कि गाडी का इंश्योरेंस (Vehicle Insurance) कराना बेहद जरूरी है। पता हो कि गाड़ी का इंश्योरेंस आपके वाहन के लिए एक तरह से ऐसी सेफ्टी का काम करता है जिसमें अगर गाड़ी या मोटरसाइकिल दुर्घटनाग्रस्त होती भी  है तो उसके लिए इंश्योरेंस कंपनी से जरुरी क्लेम (Accidental Claim) किया जा सकता है। 

    लेकिन हाल ही में एक मामला सामने आया जिसमें मोटरसाइकिल सवार की जान सड़क हादसे में चली गई और इंश्योरेंस कंपनी ने ये कहते हुए क्लेम खारिज किया कि उसकी बाइक 346 सीसी की थी। बाद में पता चला कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कंपनी को इंश्योरेंस क्लेम देने की कोई बाध्यता नहीं थी। क्योंकि गाड़ी के इंश्योरेंस में क्लॉज था कि अगर बाइक 150 सीसी से ज्यादा होगी तो कोई भी क्लेम नहीं मिलेगा। अब इसे आप कंपनी की मिस सैलिंग या कुछ और। लेकिन ये सच है कि इंश्योरेंस धारक को अपनी पॉलिसी के बारे में ठीक से पता ही नहीं था। 

    लेकिन आप जरुर ऐसी स्थितियों से अवगत रहे कि कब  आपका इंश्योरेंस क्लेम खारिज हो सकता है। यहां ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में विस्तृत रूप से बताया जा रहा है। 

    कब मिलता है क्लेम

    अब चाहे 2 व्हीलर हो या 4 व्हीलर, इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम उसी सूरत में मिलता है जब आपका नुकसान दुर्घटनावश हुआ हो, प्राकृतिक आपदा के चलते हुआ हो, गाड़ी चोरी हुई हो या दुर्घटनावश गाड़ी में आग लगी हो। यहां जानें कि कौनसी वजह से गाड़ी का क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है। 

    इंश्योरेंस पॉलिसी या ऐड ऑन कवर्स के बारे में जानकारी का अभाव 

    प्रमुखता से क्लेम खारिज होने का एक कारण ये भी है कि कुछ खास तरह के डैमेज पॉलिसी में कोई भी कवर नहीं होते और इनके लिए अलग से ऐड-ऑन कवर्स आपको लेने होते हैं। उदाहरण के लिए इंजन के डैमेज होने या गुजरते समय के साथ गाड़ी में आने वाली खराबी के लिए बेसिक पॉलिसी में कोई कवर नहीं मिलता है। इसके लिए आपको अलग से इंजन प्रोटेक्टर और जीरो डेप्रिसिएशन ऐड-ऑन कवर्स लेना होगा। 

    अगर आप करवा रहे रिपेयर्स 

    एक बड़ी ही सामान्य गलती जो गाड़ी मालिक करते हैं वो ये है कि कुछ दुर्घटना या डैमेज होने पर वे खुद गाड़ी को रिपेयर के लिए भेज देते हैं और इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी को इस बाबत जानकारी दी जाती है। ऐसे में कंपनी को पता लगाना मुश्किल होता है कि एक्सीडेंट में गाड़ी कितनी डैमेज हुई है और रिपेयर के हो जाने के बाद तो ये पता लगाना और भी कठिन होता है । ऐसे में वो क्लेम देने से इंकार कर सकती है।

    गाडी का कमर्शियल यूज करने पर

    अब अगर आपने गाड़ी पर्सनल यूज के लिए ली हुई है लेकिन आप इसका इस्तेमाल पूरी तरह कमर्शियल कार्यों के लिए कर रहे हैं तो एक्सीडेंट होने की सूरत में आपके क्लेम को रिजेक्ट भी किया जा सकता है।

    आपके द्वारा इंश्योरर को गलत जानकारी देने पर

    वहीं अगर आपने गाड़ी की इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय गलत जानकारी दी है या गाड़ी की हालत को गलत तरीके से दिखाया है तो भी आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। उदाहरण के लिए जैसे पहले से हुए डैमेज को ना बताना या छुपाना या एक्सीडेंट के बाद गलत जानकारी देने पर भी आपका क्लेम खारिज हो सकता है। 

    कोई मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल ब्रेकडाउन

    पता हो कि मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में किसी तरह का मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल खराबी या ब्रेकडाउन को किसी भी प्रकार का कोई कवर नहीं दिया जाता है।

    पॉलिसी के रिन्यू में अकारण देरी होने पर

    इसके साथ ही अगर आपने मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी को समय पर रिन्यू नहीं कराया और इस दौरान आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट होता है तो कंपनी आपको क्लेम देने से साफ़ इंकार भी कर सकती है।

    गाड़ी में कोई मॉडिफिकेशन या बदलाव 

    बात दें कि अगर आप गाड़ी में सीएनजी किट लगवाते हैं या कोई एसेसरीज अलग से इंस्टॉल कराते हैं या अपने गाड़ी की बॉडी में कोई भी चेंज कराते हैं तो आपको तुरंत इसकी जानकारी अपने इंश्योरर को देनी चाहिए वर्ना एक्सीडेंट होने की सूरत में आपका क्लेम खारिज भी हो सकता है।