coconut oil

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    मुंबई. सरकार अपना राजस्व बढ़ाने के लिए नए-नए टैक्स (Tax) लगाने के रास्ते तलाश रही है। भले ही इससे आम उपभोक्ता महंगाई के बोझ तले दब जाए। अब नारियल तेल (Coconut Oil) पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) बढ़ाकर 18% किए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए एक नया तरीका अपनाया जा रहा है। 

    एक पैनल ने छोटी पैकिंग में बिकने वाले नारियल तेल पर 18% लगाने का सुझाव दिया है। इस पर अंतिम निर्णय 17 सितंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में लिया जाएगा, लेकिन इस सुझाव का विरोध शुरू हो गया है।

    प्रस्ताव का विरोध शुरू

    अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि सरकार की मंशा खाने में इस्तेमाल होने वाले (Cooking Oil) एवं हेयर ऑयल (Hair Oil) के तौर पर इस्तेमाल होने वाले नारियल तेलों को दो भागों में बांटने की है, जोकि सरासर गलत है एक तरफ सरकार ने खुले तेल की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है और दूसरी तरफ सरकार छोटे कंटेनरों में बिकने वाले तेलों पर 18% जीएसटी लगाने का मन बना रही है, तो जिनके पास ज्यादा पैसे नहीं है, वो क्या नारियल तेल खाना छोड़ दे? सरकार को सिर्फ राजस्व की चिंता है, क्या आम जनता के बारे में सोचने का काम सरकार का नहीं है?ठक्कर ने कहा कि कंटेनर के आकार के आधार पर वर्गीकरण उचित नहीं रहेगा, क्योंकि कई ब्रांड खाद्य तेल की बिक्री 500 एमएल की पैकिंग में भी करते हैं। इसके अलावा गलत इनवाइसिंग की भी संभावना है। सरकार इसमें से कोई बड़े राजस्व को प्राप्त नहीं करेगी, लेकिन भ्रष्टाचार बढ़ने की संभावनाएं अधिक होगी और अधिकारियों को व्यापारियों को परेशान करने का मौका उपलब्ध होगा।

    क्या है पैनल का सुझाव?

    सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्य के अधिकारियों के फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि जब नारियल तेल 1 लीटर से कम की पैकिंग में बेचा जाता है तो उसे हेयर ऑयल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और इस पर 18% जीएसटी लगाया जा सकता है, चाहे इसका अंतिम उपभोक्ता कोई भी हो। वहीं अगर नारियल तेल 1 लीटर या उससे ज्यादा की पैकिंग में बिकता है तो उसे खाद्य तेल माना जाएगा और उस पर 5% जीएसटी लगेगा।