Sanjay raut
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महाविकास आघाड़ी का नेतृत्व करने वाली शिवसेना (Shiv Sena) अपने हिंदुत्व के एजेंडे के अनुरूप औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम बदलकर संभाजी नगर करने के पक्ष में है. शिवसेना मानती है कि हिंदुओं से जजिया कर वसूल करने व मंदिरों को तुड़वाने वाले औरंगजेब के अन्याय व अत्याचार के खिलाफ छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) और उनके बेटे संभाजी महाराज ने अटूट संघर्ष कर ‘हिंदवी स्वराज्य’ की स्थापना की थी. यदि ऐसा न होता तो दक्षिण भारत तक जबरन इस्लामीकरण कर दिया जाता.

औरंगजेब का नाम मुगल दासता की याद दिलाता है, इसलिए इसे बदला जाना चाहिए. शिवसेना की नामांतर मुहिम का सरकार में शामिल सेक्यूलर पार्टियां कांग्रेस और एनसीपी कड़ा विरोध कर रही हैं. उन्हें लगता है कि नामांतर का मुद्दा उभारकर शिवसेना इमोशनल कार्ड खेलना चाहती है. एनसीपी की स्पष्ट राय है कि शहरों के नामांतरण को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पहले ही कह चुके हैं कि इस मुद्दे पर सरकार में शामिल तीनों पार्टियां एकजुट होकर ही कोई फैसला करेंगी. इसी दौरान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात (Balasaheb Thorat) ने कहा कि बाहर शिवसेना और कांग्रेस के बीच चाहे जो भी तनाव की खबरें आएं लेकिन हकीकत यह है कि महाविकास आघाड़ी सरकार का बाल भी बांका नहीं होने वाला. वह पूरी तरह स्थिर है. शिवसेना सांसद संजय राऊत (Sanjay Raut) ने कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से जतलाया था कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था और हिंदुओं के साथ अत्याचार करता था. इसके जवाब में थोरात ने कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार की स्थापना के समय ही जनता के हित के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (कॉमन मिनिमम प्रोग्राम) बनाया गया था.

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि हकीकत या वास्तविकता के आधार पर राजनीति की जाती है, भावनाओं के आधार पर नहीं! उन्होंने बीजेपी और शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा कि जब पिछली बार दोनों पार्टियों ने मिलकर युति सरकार चलाई थी तब उन्हें नामांतरण का मुद्दा क्यों नहीं याद आया? 5 साल सत्ता में रहने वाले आज नाम बदलने का ढोंग कर रहे हैं. शिवसेना-भाजपा को औरंगाबाद के विकास के बारे में बोलना चाहिए. देखना होगा कि क्या कांग्रेस व एनसीपी के दबाव में शिवसेना नामांतर मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालती है या अपने कार्यकर्ताओं तथा जनभावना को देखते हुए इस दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ती है. यह ऐसा मुद्दा है जिसका समर्थन और विरोध दोनों ही हो सकता है.