इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ मेकर्स को कोर्ट में पेश होने का दिया आदेश, सरकार से 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने को कहा

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मुंबई: प्रभाष-कृति सेनन स्टारर ‘आदिपुरुष’ को दर्शकों ने पूरी तरह नकार दिया। लेकिन इसके बावजूद इस फिल्म की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवादित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को 27 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने और केंद्र सरकार को फिल्म पर अपना विचार पेश करने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली कुलदीप तिवारी और नवीन धवन की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि कई हिन्दू संगठनों ने इस फिल्म पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने याचिकाकर्ता की सुनवाई करते हुए माना कि फिल्म ‘आदिपुरुष’ में रामायण के पात्रों को ‘बड़े शर्मनाक तरीके से’ दिखाया गया है। 

अदालत ने फिल्म मेकर्स पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘रामायण, कुरान या बाइबल पर विवादित फिल्में बनाई ही क्यों जाती हैं, जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हैं। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण ही चीजें फिल्मकारों की भयंकर भूलों के बाद भी विद्रूप रूप नहीं लेती हैं।’

अदालत ने ‘आदिपुरुष’ की टीम को पेश होने का आदेश देने के अलावा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर समिति का गठन करने और 15 दिनों के भीतर समिति को रिपोर्ट तैयार करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।