‘बाहुबली’ से लेकर ‘ब्रह्मास्त्र’ तक, VFX टेक्नोलॉजी ने बदली भारतीय फिल्मों की रूपरेखा- Exclusive

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    मुंबई: भारतीय सिनेमा की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक ‘ब्रह्मास्त्र’ पिछले महीने दर्शकों के बीच रिलीज हुई। फिल्म ने अपने कंटेंट से अधिक विजुअल इफेक्ट्स के चलते दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। भारत में बनी इस उच्च स्तरीय वीएफएक्स फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा। वैसे बता दें कि विजुअल इफेक्ट्स के प्रति भारत का रुझान शुरू से ही रहा है। करीब 100 साल पहले रिलीज हुई देश की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ में भी स्पेशल इफेक्ट्स देखने को मिले थे। क्रिश, रावण और शिवाय जैसी फिल्मों को उमदा वीएफएक्स के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। वहीँ बाहुबली, 2.0 और आरआरआर जैसी फिल्मों में भी विश्वस्तरीय वीएफएक्स और सीजीआई टेक्नोलॉजी देखने को मिली।

    वर्ल्ड क्लास वीएक्स की क्षमता

    द हरिकेन हाइस्ट (2018), होराइजन लाइन (2020) और ब्रह्मास्त्र (2022) जैसी बड़ी फिल्मों के विजुअल इफेक्ट्स की बागडोर संभाल चुके वीएफएक्स स्टूडियो डीएनईजी के सीईओ नामित मल्होत्रा ने भारत में वीएफएक्स के बढ़ते चलन पर बात करते हुए कहा, ‘ब्रह्मास्त्र’ के जरिये हमने एक सीमित लागत और समय में इस प्रकार का कंटेंट दिया है जो कोई और नहीं दे सकता। भारतीय सिनेमा आज इस स्तर पर है जहां उनकी और क्वालिटी काफी हद तक हॉलीवुड से एक समान है। ‘ब्रह्मास्त्र’ ने एक उदाहरण पेश करते हुए इस हमारे फिल्मकारों को इस बात के संकेत दिए कि वें बिना किसी झिझक के फिल्मों को और भी कलात्मक रूप से पेश करने की कल्पना कर सकते हैं क्योंकि तकनीकी रूप से हम फिल्मों को और भी बेहतर बनाने की काबिलियत रखते हैं।  

    वीएफएक्स एक चुनौतियां अनेक

    नामित जोकि प्राइम फोकस स्टूडियोज के नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और प्रोमोटर भी हैं, उन्होंने कहा, ‘वीएफएक्स का सबसे अहम उद्देश्य यही है कि हम दर्शकों को कुछ ऐसा दिखाए जिसे उन्होंने न कभी देखा और ना ही उसकी कल्पना की। सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हमें पता होना चाहिए कि हमें करना क्या है? उसे कैसे करना है? हमारे पास बजट और समय कितना है? और इसके बाद हमारे कलाकार इसमें कितना समय दे सकते हैं? एक वीएफएक्स स्टूडियो के सीईओ के रूप में हम इस प्रकार की चुनौतियों को स्वीकार करने के आदी हो गए हैं।’

    40 से 50 प्रतिशत वीएफएक्स पर खर्च

    नामित बताते हैं कि किसी भी के फिल्म सीन्स के अनुसार उसके वीएफएक्स पर काम करने के लिए करीब 100 से 1500 लोगों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘ब्रह्मास्त्र की बात करूं तो इस फिल्म में करीब ढाई से तीन हजारों लोगों ने मिलकर वीएफएक्स का काम किया है। अगर आप एक बेहतरीन वीएफएक्स से लैस फिल्म बना रहे हैं तो ओवर ऑल बजट का करीब 40 से 50 प्रतिशत उसके विजुअल इफेक्ट्स पर खर्च होता है। किसी हॉलीवुड फिल्म में भी इसी मार्जिन में वीएफएक्स पर खर्च होता है। मेरे दृष्टिकोण के अनुसार, ये खर्च वीएफएक्स का नहीं बल्कि आपकी सोच का है जो आप पर्दे पर उतरना चाहते हैं और वर्तमान के फिल्ममेकर्स इस बात को तवज्जो भी दे रहे हैं।’

    भारत की बड़ी बजट की VFX फिल्में

    रावण (2011)- 130 करोड़

    बाहुबली (2015)- 180 करोड़

    साहो (2019)- 350 करोड़

    2.0 (2018)- 570 करोड़

    राधेश्याम (2022)- 350 करोड़

    आरआरआर (2022)- 550 करोड़

    ब्रह्मास्त्र (2022)- 410 करोड़

    आदिपुरुष (2023)- 500 करोड़