जानें क्यों मनाया जाता है “विश्व पोषाहार दिवस”और इसका इतिहास

    Loading

    नई दिल्ली: हमारे जीवन में बेहतर सेहत के लिए अच्छा पोषाहार लेना बेहद जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए खानपान पर ध्यान देना आवश्यक होता है। इस विषय का महत्व समझते हुए हर साल ”विश्व पोषाहार दिवस” मनाया जाता है। यह दिवस हर साल सितंबर महीने की 1 तारीख से लेकर 7 तारीख तक मनाया जाता है। तो चलिए ”विश्व पोषाहार दिवस” के मौके पर इससे जुड़ी अहम जानकारी जानते है…. 

    “विश्व पोषाहार दिवस” का उद्देश्य  

    इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के खाने-पीने से लेकर स्वास्थ्य संबधी जागरूकता को फैलाना है। वैज्ञानिकों के अनुसार आवश्यक आहार स्वास्थ्य और विकास का मुख्य केन्द्र पोषण है। पोषण से आपको शारीरिक, मानसिक शक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है। सही मात्रा में पोषण होने से हम स्वस्थ एवं तंदुरुस्त महसूस करते हैं। 

    “विश्व पोषाहार दिवस” का महत्व 

    एक अच्छा पोषण अगर जन्म के बाद से ही मिलने लगे तो वृद्धावस्था में हम स्वास्थ्य एवं बीमारियों से दूर रहते हैं। पोषण में जन्म से बच्चे को मां का दूध, निरंतर सही खाना और वातावरण देने से बच्चे को कुपोषण के शिकार से बचाया जा सकता है। अच्छा भोजन, साफ-सफाई, सब्जियों को सही तरीके से काटना एवं धोना, अल्पाहार के सेवन से बचना, मादक पदार्थों के सेवन से बचना, कच्चे फल एवं कच्ची सब्जियों का सेवन करना इत्यादि एक अच्छे पोषण के तरीके हैं, जो हर व्यक्ति को हजारों बीमारियों से दूर रखते हैं। 

    “विश्व पोषाहार दिवस” का इतिहास

    पोषण शिक्षा के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1982 में केन्द्रीय सरकार द्वारा पहली बार इस अभियान की शुरुआत की गई थी। राष्ट्रीय विकास के लिये मुख्य रुकावट के रूप में कुपोषण है। इसी लक्ष्य के साथ लोगों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और पोषण बोर्ड की 43 इकाई पूरे देश में कुशलता से कार्य कर रही है। पैदा हुए नवजात शिशु को एक बड़े स्तर की प्रतिरक्षा और स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराने के लिये 6 महीनों तक माँ का दूध या नवदुग्ध पिलाने वाली माँ को बहुत प्रोत्साहित किया जाता है।   

    राष्ट्रीय पोषाहार सप्ताह का लक्ष्य 

    • राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय पोषण नीतियां चलाई जाती है।    
    • गहन शोध के द्वारा पोषण संबंधी समस्याओं को नियंत्रित और बचाव के लिये उचित तकनीक का आकलन करना।
    • समुदाय में विभिन्न पोषण और आहार की समस्या की आवृत्ति का परीक्षण करना।
    • आहार और पोषण के लिये देश के स्थिति की निगरानी करना।
    • स्वास्थ्य और पोषण के बारे में अनुकूलन प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को जागरूक करना।
    • राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के कार्यक्रम में विभिन्न पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है। 
    • फल, सब्जी और घरों के दूसरे खाद्य पदार्थों के बचाव के लिये लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • सरकारी और गैर-सरकारी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
    • भोजन के विश्लेषण और मानकीकरण के बारे में लोगों को ठीक प्रशिक्षण दिया जाता है।