Emergency Landing Facility
आपातकालीन लैंडिंग सुविधा (डिजाइन फोटो)

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श्रीनगर : वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टर आपातकालीन स्थिति में उतरने के अभ्यास के तहत जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर उतरे। यह जम्मू कश्मीर में इस तरह का पहला अभ्यास था। ऐसा होने के बाद जम्मू कश्मीर आपातकालीन लैंडिग सुविधा (Emergency Landing Facility) (ईएलएफ) वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए भारतीय सेना की उपलब्धि हासिल की।

अमेरिका निर्मित चिनूक हेलीकॉप्टर को भी इस अभ्यास में शामिल किया गया जिसे हाल ही में बल में शामिल किया गया है। इस अभ्यास के बाद, जम्मू कश्मीर आपातकालीन लैंडिग सुविधा (ईएलएफ) वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन ऐसे राज्य हैं जहां ईएलएफ वर्तमान में उपलब्ध हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिका निर्मित दो चिनूक, रूस निर्मित एक एमआई-17 और दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात राजमार्ग के वानपोह-संगम मार्ग पर उतरे। यह राजमार्ग कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

उन्होंने बताया कि अभ्यास देर रात दो बजकर 50 मिनट पर संपन्न हो गया जिस दौरान हेलीकॉप्टर राजमार्ग पर उतरे और जमीन पर पड़े सैनिकों को उठाने का अभ्यास किया। अधिकारियों के मुताबिक, अभ्यास बिना किसी परेशानी के संपन्न हुआ।

आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी पट्टी पर 2020 में काम शुरू हुआ था और यह पिछले साल पूरा हो गया। चिनूक हेलीकॉप्टर की अधिकतम गति 310 किमी प्रति घंटा है। इसका उपयोग भारी वजन उठाने के लिए किया जाता है। मुख्य कैबिन में 33 से अधिक पूर्णतः सुसज्जित सैनिक बैठ सकते हैं। इसका उपयोग चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है और इसमें 24 स्ट्रेचर समायोजित किए जा सकते हैं।

एमआई-17 हेलीकॉप्टर में 35 सैनिकों के बैठने की जगह है। एएलएच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित है और इसमें दो इंजन हैं। इसका इस्तेमाल लोगों के हताहत होने पर उन्हें निकालने के लिए किया जाता है। इन हेलीकॉप्टरों को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है।

–एजेंसी इनपुट के साथ