नई दिल्ली. चंद्रयान (Chandrayan) पर मिली बड़ी खबर के अनुसार, ISRO आज रात 2 बजे चंद्रयान-3 (Chandrayan 3) के विक्रम लैंडर को ‘डीबूस्टिंग’ के जरिए चंद्रमा के और करीब लाने जा रहा है। बताते चलें कि, यहां ‘डीबूस्टिंग’ का मतलब स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना है। ‘डीबूस्टिंग’ में यान के चलने की दिशा के अपोजिट डायरेक्शन में थ्रस्टर फायर किए जाते हैं।
वहीं आज रात को होने वाले इस अतिमहत्वपूर्ण ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाने की उम्मीद है।
Chandrayaan-3 Mission:
The Lander Module (LM) health is normal.LM successfully underwent a deboosting operation that reduced its orbit to 113 km x 157 km.
The second deboosting operation is scheduled for August 20, 2023, around 0200 Hrs. IST #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/0PVxV8Gw5z
— ISRO (@isro) August 18, 2023
जानकारी दें कि, सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त की शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग का बड़ा प्रयास किया जाएगा। वहीं अगर 23 अगस्त को लैंडिंग में समस्या आती है तो अगले 1 महीने बाद फिर प्रयास होगा। क्योंकि चंद्रयान-3 को अगली सुबह का इंतजार करना होगा, जो वहां 28 दिन के बाद ही होगी।
Chandrayaan-3 Mission:
View from the Lander Imager (LI) Camera-1
on August 17, 2023
just after the separation of the Lander Module from the Propulsion Module #Chandrayaan_3 #Ch3 pic.twitter.com/abPIyEn1Ad— ISRO (@isro) August 18, 2023
फिलहाल विक्रम लैंडर की चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है। वहीं इसरो ने बीते 18 अगस्त को ‘डीबूस्टिंग’ के ही जरिए लैंडर की ऑर्बिट घटाई थी। जानकारी दें कि, इससे पहले बीते गुरूवार यानी 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था।
Chandrayaan-3 Mission:
🌖 as captured by the
Lander Position Detection Camera (LPDC)
on August 15, 2023#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/nGgayU1QUS— ISRO (@isro) August 18, 2023
वहीं अब यह अलग हुआ प्रोपल्शन मॉड्यूल आने वाले कई महीनों तक चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करता रहेगा, जबकि लैंडर-रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक पानी की खोज सहित अन्य जरुरी प्रयोग करेंगे।