Prince Raj

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कथित बलात्कार के मामले में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सांसद प्रिंस राज (Prince Raj) की अग्रिम जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने शिकायतकर्ता महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत ने 2021 में उसके समक्ष रखे गए रिकॉर्ड पर गौर करके राज को जमानत प्रदान की थी और गिरफ्तारी पूर्व जमानत को “महज अनुरोध” के आधार रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि स्वतंत्रता का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार होता है।

अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, “अग्रिम जमानत आदेश एकत्र और पेश की गई सामग्री यानी ऑडियो रिकॉर्डिंग और प्रतिलेख (अभियोजक की सहमति से रिश्ते पर) और अभियोजक के खिलाफ जबरन वसूली के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पारित किया गया था।”

अदालत ने कहा, “इस अदालत को इसके बाद किसी ऐसी घटना के बारे में नहीं बताया गया जिसकी वजह से आरोपी व्यक्ति को जमानत देने के आदेश में किसी भी तरह का हस्तक्षेप किया जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए, यह अदालत आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए इच्छुक नहीं है। जमानत केवल अनुरोध के आधार रद्द नहीं की जानी चाहिए क्योंकि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है, जिसमें हल्के ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।” प्रिंस राज अपने चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले लोजपा गुट से हैं। खुद को लोजपा कार्यकर्ता बताने वाली महिला ने राज पर बेहोशी की हालत में बलात्कार करने का आरोप लगाया है।