नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय(Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से मंगलवार को पूछा कि क्या उसे दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है। इसी के जवाब के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को रिहा करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा कि वह निर्देश लें और मध्याह्न भोजन के बाद न्यायालय के सत्र में उसे अवगत कराएं कि क्या सिंह को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है।
पीठ ने साथ ही कहा कि सिंह छह महीने जेल में बिता चुके हैं। शीर्ष अदालत धनशोधन मामले में सिंह की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने राजू से कहा कि सिंह के पास से कोई धन बरामद नहीं हुआ है और दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने को लेकर उन पर लगे आरोप की जांच मामले की सुनवाई के दौरान की जा सकती है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह मध्याह्न भोजन के बाद के सत्र में सिंह की गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ उनकी दलीलों का जवाब देंगे। प्रवर्तन निदेशालय ने सिंह को पिछले साल चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चार अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किए गए सिंह ने उच्च न्यायालय के समक्ष इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि वह तीन महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं है। उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद, सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने सिंह को दिल्ली सरकार की अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में पिछले साल चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को रिहा करने का आदेश दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि अगर सिंह को मामले में जमानत दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
— एजेंसी इनपुट के साथ