
नई दिल्ली: पूर्व कानून मंत्री और भारत के पूर्व न्यायाधीश शांति भूषण का मंगलवार को निधन हो गया।उन्होंने 97 साल की उम्र आखिरी सांस ली। पूर्व कानून मंत्री रहे शांति भूषण को भारत की कानूनी प्रणाली के दिग्गजों में से एक के रूप में पहचाना जाता था। उन्होंने 1977 से 1979 तक जनता पार्टी सरकार में कानून मंत्री के रूप में कार्य किया था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और शांति के बेटे प्रशांत भूषण ने अपने पिता के निधन पर कहा कि, “मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह एक युग का अंत है। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आजादी के बाद से संविधान और कानूनी प्रणाली के विकास को करीब से देखा।”
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा, “उन्होंने इन अनुभवों के बारे में दो किताबों में लिखा – कोर्टिंग डेस्टिनी और माई सेकेंड इनिंग्स। मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।”
पीएम नरेंद्र मोदी जताया शोक
पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी अपने ट्वीट में लिखा- “उन्हें कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन से दुखी हूं।”
PM Narendra Modi expresses condolences over the demise of Former Law Minister and Senior Advocate Shanti Bhushan.
"He will be remembered for his contribution to the legal field and passion towards speaking for the underprivileged. Pained by his passing away," tweets PM Modi pic.twitter.com/qQFVKSkx07
— ANI (@ANI) January 31, 2023
शांति भूषण कौन थे?
मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में शामिल होने से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी।
वह सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ वकील थे और भाजपा से इस्तीफा देने से पहले 1980 से 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी थे।
शांति भूषण ने कानून मंत्री के रूप में भारत के संविधान का 44वां संशोधन पेश किया था। जिसने इंदिरा गांधी मंत्रालय द्वारा पारित 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को निरस्त कर दिया।