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    नई दिल्ली: हिंदी की मशहूर लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjal Shree) के एक उपन्यास को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) मिला है। उन्हें अपने उपन्यास ‘रेत समाधि’ के लिए यह पुरस्कार जीता है। ‘रेत समाधि’ का अंग्रेजी अनुवाद मशहूर अमेरिकी अनुवादक डेज रॉकवेल ने किया है। इसे अंग्रेजी में टिल्टेड एक्सिस प्रेस ने “टूंब ऑफ सैंड” (Tomb Of Sand) के नाम से प्रकाशित किया है। 

    हिंदी में यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से छापा है। खास बात यह है कि, ‘रेत समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी कृति है जो अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट और शॉर्ट लिस्ट तक पहुंची। वहीं , इस उपन्यास ने बुकर पुरस्कार जीत भी लिया है। बता दें कि बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में गीतांजलि श्री की ‘रेत समाधि’ के अलावा 13 अन्य कृतियां भी थीं।

    गीतांजलि श्री (Geetanjal Shree) की उपन्यास ‘रेत समाधि’ की 50,000 पाउंड यानी करीब 50 लाख रुपये के साहित्यिक पुरस्कार के लिए दुनिया की पांच किताबों से इसकी प्रतिस्पर्धा हुई। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी। 

    उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखने वाली गीतांजलि श्री पिछले तीन दशक से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं। श्री की तीन उपन्यास समते कई कथा संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं। गीतांजलि श्री का ‘रेत समाधि’ उनका पांचवां उपन्यास है। पहला उपन्यास ‘माई’ है।

    इसके बाद उनका उपन्यास नब्बे के दशक में आया था, जिसका नाम ‘हमारा शहर उस बरस’ था। यह उपन्यास सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है। कुछ साल बाद गीतांजलि श्री का ‘तिरोहित’ आया। इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है। उनके चौथा उपन्यास ‘खाली जगह’ है और कुछ साल पहले ‘रेत समाधि’ प्रकाशित हुआ।

    हालांकि, लगातार एक से बढ़कर एक उपन्यास लिखने के बाद भी कई लोग गीतांजलि श्री को नहीं जानते थे। लेकिन, अब ‘रेत समाधि’ के बाद हर कोई गीतांजलि श्री के नाम से वाकिफ हो गया है। जब बुकर पुरस्कार के लॉन्ग लिस्ट में ‘रेत समाधि’ को शामिल किया गया, तब हिंदी संसार के बीच गुमनाम सी रहीं गीतांजलि श्री अचानक सुर्ख़ियों में आ गईं।