जानें कौन थी ज़रीना हाशमी जिसने पूरी दुनिया में लहराया अपना परचम, आज गूगल मना रहा उनका 86वां जन्मदिन

Loading

नई दिल्ली: किसी भी दिन विशेष या व्यक्ति विशेष को गूगल अपने डूडल के जरिए सेलिब्रेट करता है। जी हां आपको बता दें कि आज यानी 16 जुलाई को गूगल डूडल भारतीय-अमेरिकी कलाकार और प्रिंटमेकर जरीना हाशमी का 86वां जन्मदिन मना रहा है। पूरी दुनिया में ज़रीना न्यूनतम शैली में अपने प्रमुख व्यक्तित्वों के लिए प्रसिद्ध थीं। इस महान कलाकार का जन्म 1937 में छोटे से भारतीय शहर अलीगढ़ में हुआ था। आइए आज जानते है ज़रीना हाशमी के बारे में…. 

दरअसल विभाजन से पहले,जरीना और उनके चार भाई-बहन बड़े ही ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन जी रहे थे, लेकिन विभाजन के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। जरीना और उनके परिवार और लाखों अन्य लोगों को नव स्थापित पाकिस्तान में कराची जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। णता दें कि जरीना हाशमी 21 साल की थीं जब उन्होंने एक युवा राजनयिक से शादी की और दुनिया घूमने निकल पड़ीं। जी हां उन्होंने बैंकॉक, पेरिस और जापान की यात्रा की, जहां वह प्रिंटमेकिंग और आधुनिकतावादी और अमूर्त कला प्रवृत्तियों से अवगत हुई। 

इसके बाद फिर वह 1977 में न्यूयॉर्क शहर में स्थानांतरित हो गईं और बदलते दौर के साथ वो फीमेल कलाकारों की एक मजबूत समर्थक बन गईं। इसके बाद वह जल्द ही हेरिसीज़ कलेक्टिव की सदस्य बन गईं, जो एक नारीवादी पत्रिका थी, जिसने राजनीति, कला और सामाजिक न्याय के बीच संबंधों की जांच की। 

 

इस बड़े सफलता के बाद में वह न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर बन गईं, जिसने महिला कलाकारों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान किए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि उन्होंने 1980 में ए.आई.आर. में प्रदर्शनी के सह-संचालन में सहयोग किया। गैलरी, जिसका शीर्षक है “अलगाव की द्वंद्वात्मकता: संयुक्त राज्य अमेरिका की तीसरी दुनिया की महिला कलाकारों की एक प्रदर्शनी।”

अपने अद्भुत कला के जरिए हाशमी अपने आकर्षक इंटैग्लियो और वुडकट प्रिंटों के लिए प्रमुखता से उभरीं, जिनमें उन घरों और शहरों का अर्ध-अमूर्त प्रतिनिधित्व शामिल है, जिनमें वह रहती थीं। उनका व्यक्तित्व कई रंगों से भरा था। ज़रीना की एक भारतीय महिला के रूप में पहचान, जो एक मुस्लिम के रूप में पैदा हुई थी और यह तथ्य कि उन्होंने अपना पूरा बचपन एक जगह से दूसरी जगह घूमते हुए बिताया, दोनों ने उनकी कला को प्रभावित किया।  इस्लामी धार्मिक सजावट के दृश्य तत्वों का उनका उपयोग इसकी नियमित ज्यामिति के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय था।

ऐसे में आज उन्हें पूरी दुनिया में उनके कला द्वारा पहचाना जाता है। जी हां उनके काम को अभी भी विश्व स्तर पर लोग देखते हैं क्योंकि सैन फ्रांसिस्को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, व्हिटनी म्यूजियम ऑफ अमेरिकन आर्ट, सोलोमन आर गुगेनहेम म्यूजियम और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित दीर्घाओं में स्थायी संग्रह हैं। बता दें कि 25 अप्रैल, 2020 को अल्जाइमर रोग के कारण जरीना का लंदन में निधन हो गया। आज 16 जुलाई को गूगल डूडल भारतीय-अमेरिकी कलाकार और प्रिंटमेकर जरीना हाशमी का 86वां जन्मदिन मना रहा है।