नई दिल्ली. आज यानी मंगलवार 20 जून से देशभर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की शुरुआत हो रही है। वहीं ओडिशा के पुरी में आज से शुरू होने वाली रथयात्रा के लिए देश के कोने-कोने से और विदेशों से भी दर्शनार्थी आते हैं। इसी क्रम में आज रात रात 10:04 बजे जगन्नाथ जी, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ नगर भ्रमण के लिए भी निकलेंगे, जो कि एक पौराणिक प्रथा है।
गुंडिचा यात्रा
इसके साथ ही अगले दिन रात 7.09 बजे वे अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाएंगे और 9 दिनों तक वहीं रुकेंगे। इन 9 दिनों के बाद वे वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे। मंदिर लौटने वाली इस यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
जमालपुर रथ यात्रा
वहीं पुरी में होने वाली रथयात्रा के बाद अगर देश की दूसरी सबसे बड़ी रथयात्रा कहीं होती है तो वह है अहमदाबाद के जमालपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में। यहां आज गृहमंत्री अमित शाह ने सुबह जमालपुर जगन्नाथ मंदिर में मंगला आरती की।
#WATCH | Gujarat: Lord Jagannath Rath Yatra 2023 to begin from Jagannath temple in Ahmedabad. Idols of lord Jagannath, Balabhadra and Subhadra being installed on the chariot pic.twitter.com/DsDhyNDx1U
— ANI (@ANI) June 20, 2023
आज अहमदाबाद में रथयात्रा अब से थोड़ी देर पहले शुरू हो चुकी है । आज राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पहिंदा विधि कर रथ यात्रा की शुरुआत की है। इससे पहले सुबह 4.30 बजे भगवान को खिचड़ा हुआ। 6।30 बजे भगवान की तीनों मूर्तियों को रथ में विराजमान किया गया है।
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat: Union Home Minister Amit Shah participates in Mangla Aarti at Jagannath Temple, before the Jagannath Rath Yatra 2023. pic.twitter.com/JgiQV0J2np
— ANI (@ANI) June 19, 2023
पूरी रथयात्रा में 25 लाख लोगों के आने की प्रबल संभावना
इधर ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ आज तकरीबन ढाई से तीन किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। जो कि उनकी मौसी का घर है। अब की इस रथयात्रा में तकरीबन 25 लाख लोगों के आने की प्रबल संभावना है। इसे गुंडिचा यात्रा भी कहते हैं।
पूरी की इस इस शानदार यात्रा के लिए तीन भव्य रथ भी बनाए गए हैं। पहले रथ में भगवान जगन्नाथ, दूसरे रथ में बलराम और तीसरे रथ में सुभद्रा सवार होंगी। इन रथों को बनाने के लिए खास तरह के 884 पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। पहला कट सोने की कुल्हाड़ी से ही किया जाता है।